k j श्रीवत्सन, जयपुर
राजस्थान में हजारों छात्र हर साल बेहतर भविष्य का सपना लेकर कोचिंग सेंटरों का रुख करते हैं लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा और दबाव कई बार उनके लिए घातक साबित होता है। मानसिक तनाव और आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं ने सरकार को सख्त कदम उठाने पर मजबूर किया लेकिन कोचिंग सेंटरों की मनमानी रोकने के लिए लाया गया विधेयक पारित नहीं हो सका। विपक्ष का आरोप है कि सरकार कोचिंग संचालकों के दबाव में काम कर रही है वहीं सरकार इसे और मजबूत बनाने की बात कह रही है। सवाल यह है क्या छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो पाएगा?
विधेयक पारित नहीं हो सका, सरकार ने दी सफाई
राजस्थान विधानसभा में कोचिंग सेंटरों की मनमानी रोकने के लिए लाया गया विधेयक इस सत्र में पारित नहीं हो सका और सरकार को इसे प्रवर समिति के पास भेजना पड़ा। भजनलाल सरकार ने इस सत्र में कुल 13 विधेयक पेश किए थे जिनमें से तीन को प्रवर समिति के पास भेजना पड़ा। विपक्ष ने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने बिना पूरी तैयारी के यह बिल पेश किया था और इसका उद्देश्य कोचिंग सेंटर संचालकों को फायदा पहुंचाना था। वहीं सरकार का कहना है कि विधेयक को और प्रभावी बनाने के लिए सत्ता और विपक्ष के विधायकों के सुझावों को इसमें शामिल किया जाएगा।
सरकार ने बताया विधेयक लाने का कारण
विधानसभा में उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने विधेयक की जरूरत को स्पष्ट करते हुए कहा कि कोचिंग सेंटरों में छात्रों पर अत्यधिक दबाव डाला जाता है जिससे वे मानसिक तनाव के शिकार हो जाते हैं। कई बच्चे यह तनाव सहन नहीं कर पाते और आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाते हैं। सरकार चाहती है कि कोचिंग सेंटरों में छात्रों को तनावमुक्त और सकारात्मक माहौल मिले इसलिए विधेयक में नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों पर ₹2 लाख तक का जुर्माना और रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रावधान रखा गया है। इसके अलावा जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया है, जो कोचिंग सेंटरों की कार्यप्रणाली की निगरानी करेगी।
विपक्ष ने बताया विधेयक में कई खामियां
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि यह विधेयक अधूरा है। इसमें न हाई कोर्ट के आदेशों का ध्यान रखा गया है और न ही केंद्र सरकार की गाइडलाइंस को शामिल किया गया है। उन्होंने मांग की कि कोचिंग सेंटरों में छात्रों की संख्या तय हो शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात सही रखा जाए, समय-समय पर जांच हो और झूठे विज्ञापनों पर रोक लगाई जाए। जूली ने बताया कि पिछले 10 सालों में कोचिंग सेंटरों में आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या दोगुनी हो गई है। साल 2021-22 में लड़कियों की आत्महत्या दर लड़कों से ज्यादा थी जो चिंता की बात है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह विधेयक कोचिंग सेंटर चलाने वालों के दबाव में बनाया गया है इसलिए इसे दोबारा जांच के लिए भेजना जरूरी है।
विधानसभा सत्र में सरकार की कार्यशैली पर सवाल
इस सत्र में सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठे क्योंकि यह पहली बार हुआ कि तीन विधेयक प्रवर समिति को भेजे गए। विपक्ष का कहना है कि सरकार बिना पूरी तैयारी के विधेयक पेश कर रही है और बहुमत के बल पर उन्हें पारित कराना चाहती है लेकिन विपक्ष की चिंताओं को नजरअंदाज कर रही है। इस सत्र में कुल 10 विधेयक लाए गए थे जिनमें से सात पारित हुए और तीन को प्रवर समिति के पास भेजा गया। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली जिसके कारण सदन की कार्रवाई पांच दिनों तक बाधित रही। विधानसभा अध्यक्ष ने सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करते हुए सुझाव दिया कि अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी मानसून सत्र होना चाहिए ताकि जनता से जुड़े मुद्दों पर अधिक गहन चर्चा हो सके।