Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot: राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर सियासी तूफान की आहट शुरू हो गई है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक 3 नेताओं के जल्द अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।
साथ ही विधायकों पर इस्तीफे का दबाव बनाने की पार्टी स्तर पर जांच की मांग की है। पायलट द्वारा बुधवार को दिए बयान के बाद एक बार फिर राजस्थान कांग्रेस की सियासत में उबाल शुरू हो गया है।
खिलाड़ी लाल बैरवा ने दिए बड़े संकेत
कांग्रेस की गुटबाजी और बयानबाजी एक बार फिर सुर्खियों में है। जैसे ही सचिन पायलट ने आलाकमान से जल्द कार्रवाई की बात कही तो पायलट गट फिर से एक्टिवेट हो गया। पायलट खेमे के विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने पायलट से मुलाक़ात के बाद प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के संकेत दिए और कहा कि आने वाले चुनाव में सत्ता वापसी के लिए पायलट ही तारणहार हैं।
उन्होंने कहा कि राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट वर्किंग कैपिटल और गहलोत फिक्स डिपॉजिट हैं। सत्ता में आने के लिए पायलट का CM बनना जरूरी है। वहीं सरकार ने गहलोत गुटके मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि बयान पर बयान देने से चर्चाएं ज्यादा बढ़ती है। हम चुनाव के मैदान में गहलोत सरकार के बजटऔर योजनाओं को लेकर उतरेंगे।
शीर्ष नेतृत्व पायलट को देता रहा मीठी गोली
कांग्रेस की गुटबाजी को लेकर बीजेपी ने एक बार फिर कांग्रेस पर निशाना साधा है। पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि बजट में चाहे कितनी ही घोषणा की जाए, लेकिन यह दोनों एक दूसरे को निपटाने में लगे हैं। कांग्रेस कितनी ही पाताल में चली जाए किसी को कोई चिंता नहीं है। अशोक गहलोत किसी भी तरह सचिन पायलट को आगे नहीं आना देना चाहते।
उन्होंने कहा कि शीर्ष नेतृत्व सचिन पायलट को मीठी गोली देता रहा है। देवनानी ने कहा कि इन दोनों नेताओं का आंतरिक संघर्ष कांग्रेस को पाताल लोक में लेकर जाएगा, इसे कोई रोक नहीं सकता।
कांग्रेस अनुशासनहीनता वाली पार्टी
वहीं, बीजेपी विधायक और प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले अनुशासनहीनता वित्त 3 सदस्य कमेटी बनी और उसका कोई नतीजा अब तक नहीं निकला फिर दोबारा मल्लिकार्जुन खड़गे आए और बैरंग लौटे। शर्मा ने कहा की कांग्रेस अनुशासनहीनता वाली पार्टी है।
क्या बड़ा ब्रेकर बनेगी अंदरूनी कलह
बहरहाल एक तरफ गहलोत गुट बजट को लेकर चुनावी मैदान में जाने की बात कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर पायलट गुट एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन और आलाकमान से उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहा है जिन लोगों ने विधायकों के इस्तीफे दिए और दिलवाए। यह कांग्रेस की यह अंदरूनी खींचतान आने वाले चुनाव में कांग्रेस के लिए एक बड़ा ब्रेकर बन सकती है।
जयपुर से केजी श्रीवत्सन की रिपोर्ट।
यह भी पढ़ें: Sachin Pilot: कांग्रेस के रायपुर राष्ट्रीय अधिवेशन में सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना!
और पढ़िए – देश से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहाँ पढ़ें