US Deportee Sikh Boy Narrates Tragic Ordeal: अमेरिका से अवैध भारतीयों का निर्वासन लगातार जारी है। 5 फरवरी से 16 फरवरी तक 3 बैच अमेरिका से भारत आ चुके हैं। 15 फरवरी दिन शनिवार की रात को अमेरिका के सैन्य विमान में 112 भारतीय भारत पहुंचे। विमान पंजाब के अमृतसर में श्री गुरु राम दास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा तो अमेरिका से लौटे भारतीयों में सिख युवक इस बार बिना पगड़ियों के नजर आए।
एयरपोर्ट पर उतरने के बाद उन्हें पगड़ियां पहनने को मिलीं, लेकिन सिख धर्म के अनुसार, समुदाय के लिए जरूरी 5 ककारों में पगड़ी सबसे अहम है, लेकिन अमेरिका में विमान में बैठते समय सिख युवकों की पगड़ी उतरवा ली गई। इससे सिख युवकों में नाराजगी देखने को मिली। मोगा जिले के धर्मकोट के पंडोरी अरियान गांव के 21 वर्षीय जसविंदर सिंह ने भी पगड़ियां उतरवाने पर नाराजगी जताई और एयरपोर्ट पर उतरकर घर पहुंचते ही मीडिया को आपबीती सुनाई।
WATCH | Punjab | The third batch of illegal Indian immigrants who were deported from the US and brought to Amritsar are now being sent to their respective states.
---विज्ञापन---Visuals from outside of the Amritsar airport pic.twitter.com/mjWi5tZKIu
— TIMES NOW (@TimesNow) February 17, 2025
27 जनवरी के बाद 15 फरवरी को पहनी पगड़ी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जसविंदर सिंह ने बताया कि वह अमेरिका द्वारा निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों के दूसरे बैच में शामिल था। शनिवार रात को अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचने के बाद ही वह फिर से अपनी पगड़ी पहन पाए। रविवार रात को अमृतसर एयरपोर्ट पर 112 अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर तीसरा अमेरिकी सैन्य विमान उतरा था। 112 निर्वासितों में से 44 हरियाणा, 33 गुजरात, 31 पंजाब, 2 उत्तर प्रदेश और एक-एक उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के निवासी थे। 27 जनवरी को अवैध रूप से अमेरिका-मैक्सिको सीमा पार करने के आरोप में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा उसे हिरासत में लिया गया था।
इसके 20 दिन बाद वह वापस भारत लौटा है, लेकिन जिस दिन हिरासत में लिया गया था, उसी दिन पगड़ी सहित सभी चीजें उतरवा ली गई थीं। केवल टी-शर्ट, लोअर, मोजे और जूते पहनने की अनुमति थी। जूतों के फीते तक उतार दिए थे। उसने और सभी सिख युवकों ने अमेरिकन पुलिस से पगड़ियां लौटाने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और कहा कि अगर तुममें से कोई भी आत्महत्या कर लेता है तो कौन जिम्मेदार होगा? जितने दिन हिरासत केंद्र में रहे, पगड़ी पहनने की अनुमति नहीं थी। अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद ही सामान वापस मिला और अपने सिर पर परना (सिख पुरुषों द्वारा सिर को ढकने के लिए पहना जाने वाला कपड़ा) लपेटा।
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27 जनवरी को अमेरिका पहुंचते ही हिरासत में लिया
जसविंदर ने बताया कि वह परिवार की 1.5 किले जमीन और 2 कमरों का मकान गिरवी रखकर अमेरिका गया था। परिवार को 44 लाख रुपये जुटाने के लिए अपनी भैंसें भी बेचनी पड़ीं। यह रुपये उन्होंने जसविंदर को अमेरिका पहुंचाने के लिए एक एजेंट को दिया। वह अपने परिवार की मदद के लिए अमेरिका जाना चाहता था, क्योंकि उसके पिता दिल के मरीज थे और अब काम नहीं कर सकते थे, लेकिन इस तरह डिपोर्ट होने से उम्मीदों पर पानी फिर गया है। अब परिजन 44 लाख रुपये के कर्ज में डूबे हुए हैं और नहीं पता कि वे इसे कैसे चुकाएंगे? पिछले साल दिसंबर में घर से अमेरिका जाने के लिए निकला था।
दिल्ली से फ्लाइट लेकर चेक गणराज्य के प्राग में उतरा और फिर स्पेन, अल साल्वाडोर, ग्वाटेमाला और मैक्सिको होते हुए US-मैक्सिको सीमा पर पहुंचा। 26 जनवरी को सीमा पर पहुंचा था, लेकिन भारी बारिश के कारण एजेंट ने मुझे 27 जनवरी को सीमा पार करवा दिया, लेकिन कुछ ही मिनटों में पकड़ा गया। एजेंट ने यह भी वादा किया था कि हिरासत में लिए जाने के बाद वह मुझे हिरासत केंद्र से बाहर निकाल देगा, लेकिन उसने अपना वादा पूरा नहीं किया। अब मुझे अपना पैसा वापस चाहिए। पंजाब सरकार को पैसे वापस करवाने चाहिए।
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3 दिन विमान के अंदर रहे सभी निर्वासित भारतीय
जसविंदर ने कहा कि हिरासत केंद्र और अमृतसर वापस ले जाने वाले अमेरिकी सैन्य विमान में मानसिक यातनाएं दी गईं। फ्लाइट में हाथ और पैर जंजीरों से बंधे हुए थे। 13 जनवरी को विमान में सवार हुए और करीब 3 दिन तक विमान के अंदर ही रहे। पता ही नहीं था कि अमेरिकी अधिकारी कहां ले जा रहे हैं?
अगर कोई एक मिनट के लिए भी खिंचाव के लिए खड़ा होता तो विमान में मौजूद अमेरिकी अधिकारी डांटते और बैठने का आदेश देते। सभी ठंड में कांप रहे थे, क्योंकि हमें केवल प्लास्टिक की चादरें दी गई थीं, जो कड़कड़ाती ठंड में काम नहीं आ रही थीं। जसविंदर ने कहा कि 4 भाई-बहन हैं और अब परिवार के पास फिर से विदेश भेजने के लिए पैसे नहीं हैं, चाहे वह अमेरिका जाए या कहीं और। एजेंट से अपना पैसा वापस चाहता हूं, पंजाब सरकार मदद करे।