Punjab News: पंजाब में एक तरफ बाढ़ के कारण हाहाकार मचा हुआ है. जिससे किसानों का भारी नुकसान हुआ है और अब पंजाब पकने के लिए तैयार धान की फसल पर भी आफत आ गई है. धान की फसलों पर चाइनीज वायरस ने हमला बोल दिया है और पटियाला के कई गांव इसकी चपेट में आ चुके है. यह वायरस भी ऐसे फैलता है, जिस तरह कोरोना फैलता था. यह वायरस फसल के अंदर से पौधे को बिल्कुल खोखला कर देता है. यह वायरस टिड्डी दल की पीठ के जरिए ट्रैवल करता है. इसके हमले से धान के पौधे बिल्कुल छोटे हो जाते हैं और सूख जाता है.
किसानों की राज्य ओर केंद्र सरकार से अपील
इसकी सच्चाई जानने के लिए न्यूज 24 की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर पता करने की कोशिश की, तो तस्वीरें काफी हिलाने वाली दिखाई दी. हम पटियाला जिले की समाना तहसील के गांव रंधावा में पहुंचे. यहां पर कई किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रही थी. किसानो के साथ जब खेत में पहुंचे, तो फसल लगातार सूख रही थी. ऊपर से दिखाई दे रहा था कि फसल बिल्कुल ही खराब हो चुकी थी और रंग काला हो गया है. जब किसानों से बात की तो उनका कहना था कि यह वायरस सबसे पहले 2022 में सामने आया था. उसके बाद अब पता चला है कि इस वायरस की चपेट में उनकी सारी फसल आ रही है. हम कोई स्प्रे करते हैं, उसके बाद भी यह फैलने लगता है. अभी तक इसकी कोई भी दवा नहीं बन पाई है. फसल को ठीक रखने के लिए उन्होनें इस पर भारी पैसा खर्च कर दिया, मगर फसल को बचा नहीं सके. किसानों की मांग है कि इस बीमारी को रोकने के लिए राज्य ओर केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए.
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क्या बोले कृषि अधिकारी
इस सम्बन्ध में समाना के कृषि अधिकारी डॉ. सतीश कुमार का कहना है कि इसके लिए हमने लुधियाना के कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से भी बात की है. फसल पर हुए वायरस के हमले ने फसल को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है. इसमें कोई अनाज पैदा नहीं होगा. उनका कहना है कि किसान इस पर कीटनाशकों का छिड़काव न करें और ज्यादा पैसा खर्च न करें, क्योंकि बाढ़ के बाद आए जलवायु परिवर्तन ने इन फसलों को प्रभावित किया है.
जाना जाता चाइनीज वायरस के नाम से
बताया गया है कि इस वायरस का असली नाम साउदर्न राइस ब्लैक स्ट्रीक्ड डीवार्फ वायरस है. जिसे चाइनिस वायरस के नाम से भी जाना जा रहा है. ये वायरस कोरोना वायरस की तरह धान के खेतों में फैलता जा रहा है। एग्रीकल्चर डाक्टरों और वैज्ञानियों ने इस वायरस से बचने को अभी तक कोई दवा का सुझाव भी किसानों को नहीं दिया है. बाढ़ के बाद पंजाब की किसान इस समय इस घातक वायरस के कारण बडे आर्थिक नुकसान की और बढ़ रहै है. किसानों का कहना है कि वायरस उनके धान के पौधों को अंदर ही अंदर खोखला करता जा कहा है. यदि सरकार इस मामले को लेकर तुरंत हरकत में नहीं आई तो ये वायरस अन्य इलाकों को भी अपनी चपेट में ले सकता है.
2022 में भारत में पहला प्रभाव
सदर्न राइस ब्लैक स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) की उत्पत्ति दक्षिणी चीन में 2001 में हुई थी. यह वायरस चावल और मक्का जैसी फसलों को प्रभावित करता है और सफेद पीठ वाले पादप फुदक (white-backed plant hopper) द्वारा फैलता है. इस वायरस ने दक्षिणपूर्व एशिया के कई देशों को प्रभावित किया और 2009 के बाद से वियतनाम और बाद में 2022 में उत्तरी भारत में भी इसका प्रकोप देखा गया. इस वायरस का प्रभाव पहली बार 2022 में खरीफ सीजन के दौरान पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में भारतीय चावल के खेतों में देखा गया.
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