पटना: सुशासन बाबू नाम से मशहूर नीतीश कुमार आज आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। 2020 में भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव जीतने वाले नीतीश कुमार ने कार्यकाल के बीच में ही 9 अगस्त 2022 यानी कल सीएम पद से इस्तीफा दे दिया।
ये पहली बार नहीं है, जब कार्यकाल पूरा होने से पहले ही नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर दोबारा सीएम बने हों। इससे पहले वे 2014, 2017 में कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे चुके हैं।
जानें, कब-कब मैकेनिकल इंजीनियर ‘मुन्ना’ किसके सहयोग से बने सीएम
पहली बार- तीन मार्च 2000- मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन सात दिनों बाद 10 मार्च 2000 को पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि बहुमत साबित नहीं कर पाए। इस दौरान भाजपा के साथ उनका गठबंधन था।
दूसरी बार- 24 नवंबर 2005- मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कार्यकाल पूरा करने के बाद 24 नवंबर 2010 को इस्तीफा दिया। इस दौरान भाजपा का गठबंधन रहा।
तीसरी बार- 25 नवंबर 2010- चुनाव जीतने के बाद भाजपा के साथ गठबंधन कर मुख्यमंत्री बने। 2014 में पीएम पद के लिए मोदी का नाम आने से भाजपा से अलग हो गए, लेकिन लोकसभा चुनाव में हार के बाद 19 मई 2014 को मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। जीतन राम मांझी को सीएम बना दिया।
चौथी बार- 22 फरवरी 2015 को मांझी को हटाने के बाद मुख्यमंत्री बने। इस दौरान राजद, कांग्रेस का बाहर से समर्थन था।
पांचवीं बार- 20 नवंबर 2015 को विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। जीतने के बाद सीएम बने।
छठी बार- 27 जुलाई 2017 को महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाई और सीएम बने।
सातवीं बार- 25 नवंबर 2020- भाजपा के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीतने के बाद सीएम बने।
आठवीं बार- 10 अगस्त 2022- भाजपा का साथ छोड़कर राजद, कांग्रेस और अन्य पांच पार्टियों के सहयोग से सरकार बना रहे हैं।
बड़े राजनीतिक शख्सियतों के बीच हुई है राजनीतिक परवरिश
1951 में स्वतंत्रता सेनानी के घर जन्मे थे। घर में मुन्ना नाम से पुकारे जाने वाले नीतीश ने बचपन की पढ़ाई-लिखाई के बाद पटना का रूख किया लेकिन राजनीति के लिए नहीं बल्कि इंजीनियरिंग के लिए। उन्होंने पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री भई ली, लेकिन शायद नीतीश की किस्मत में कुछ और ही लिखा था।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग के बाद उनकी राजनीतिक परवरिश जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नांडिज जैसे राजनीतिक शख्सियतों के बीच होने लगी। धीरे-धीरे नीतीश कुमार राजनीति में आ ही गए।
1977 में राजनीतिक करियर की शुरुआत की
नीतीश ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत 1977 में की। जनता पार्टी के टिकट पर नीतीश ने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली। 1985 में वे जनता पार्टी के ही टिकट पर विधानसभा पहुंचे। इसी बीच 1987 को नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बनाए गए। धीरे-धीरे नीतीश का कद बढ़ता गया और 1989 को नीतीश कुमार को जनता दल (बिहार) का महासचिव बना दिया गया।
1989 में पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए थे नीतीश
साल 1989 नीतीश ने पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। एक साल बाद 1990 में अप्रैल से नवंबर तक नीतीश कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे। साल 1991 में 10वीं लोकसभा के चुनाव में एक बार नीतीश को जीत मिली और वे संसद में जनता दल के उपनेता बने। साल 1996 में नीतीश कुमार 11वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए।
साल 1998 ने नीतीश फिर से 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1998-99 तक नीतीश कुमार अटल बिहारी की सरकार में केंद्रीय रेलवे मंत्री भी रहे। साल 1999 में 13वीं लोकसभा में भी नीतीश को जीत मिली और वे केंद्रीय कृषि मंत्री बनाए गए।
साल 2000 नीतीश के राजनीतिक करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ
साल 2000 नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनका कार्यकाल 3 मार्च से 10 मार्च 2000 तक यानी मात्र सात दिन तक चला। इसके बाद नीतीश की एक बार फिर केंद्र में वापसी हुई और साल 2000 में नीतीश एक बार फिर से केंद्रीय कृषि मंत्री बनाए गए। साल 2001 में नीतीश को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। साल 2001 से 2004 तक नीतीश केंद्रीय रेलमंत्री रहे। साल 2002 के गुजरात दंगे भी नीतीश कुमार के कार्यकाल के दौरान हुए थे।
2005 से लगातार बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं नीतीश कुमार
साल 2004 में नीतीश 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए। एक साल बाद साल 2005 में नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने। बतौर 31वें मुख्यमंत्री नीतीश का ये कार्यकाल 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक चला। 25 नवंबर 2010 को नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 22 फरवरी 2015, 20 नवंबर 2015, 27 जुलाई 2017 और 25 नवंबर 2020 को नीतीश ने बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। आज नीतीश आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।