महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य में 903 विकास योजनाओं की प्रशासनिक मंजूरी रद्द कर दी है। सरकार के मुताबिक इनमें वही योजनाएं शामिल हैं जो पिछले कुछ सालों से रुकी हुई थीं और उनमें कोई प्रगति नहीं हुई थी। भूमि एवं जल संरक्षण विभाग के माध्यम से इस फैसले की घोषणा की गई है। इनमें छोटी सिंचाई योजनाएं, कोर सीपेज बांध, सीपेज तालाब, भंडारण तालाब मरम्मत योजनाएं जैसी कई योजनाएं शामिल हैं।
विपक्ष क्यों हुआ हमलावर
विपक्ष के मुताबिक, रेवड़ियां बांटने के कारण सरकार की तिजोरी खाली हो गई है। पैसों के अभाव में परियोजनाओं को बंद करना पड़ रहा है। इसके चलते 197.23 करोड़ की परियोजनाओं की चुपचाप मंजूरी रद्द कर दी गई। अब देखना यह है कि इस फैसले का जिला और तालुका स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्योंकि यह सभी छोटी-छोटी परियोजनाएं थीं।
सरकार का पक्ष
भूमि अधिग्रहण अटकने, स्थानीय लोगों के विरोध और कुछ जगह पर ठेकेदारों के असहयोग के कारण ये प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो सके। इसलिए सरकार ने इन योजनाओं को और समय देने के बदले सीधे उनकी एडमिनिस्ट्रेटिव मंजूरी रद्द करने का फैसला लिया है। इस डिसीजन से पैसे का गलत इस्तेमाल रोकने में मदद मिलेगी और नए प्लान्स का रास्ता भी साफ होगा। सरकार के अनुसार, अधूरी योजनाओं के कारण पैसा अटक जाता है और सेवाएं वास्तव में लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाती हैं। इसलिए ऐसी योजनाओं को हटाकर नई योजनाओं पर विचार होगा।
क्या लाडली बहन योजना के चलते खजाना खाली?
महाराष्ट्र की बहुचर्चित लाडली बहन योजना के कारण राज्य सरकार के खजाने पर भारी बोझ पड़ा है। इस योजना के लिए हर महीने हजारों करोड़ रुपए दिए जाते हैं। पिछले कुछ दिनों में इस योजना के लिए दूसरे विभागों को मिलने वाले फंड को भी डायवर्ट करना पड़ा है। इससे उन विभागों द्वारा नाराजगी जताए जाने के मामले भी सामने आए हैं। इसलिए अब यह देखना होगा कि क्या रुकी हुई योजना को रद्द करने के पीछे भी कहीं यही वजह तो नहीं है। हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि लाडली बहन योजना के लिए फंड डायवर्ट किए जाने का आरोप सरासर गलत है।
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