Tiger Project Completed One year:देश भर के साथ आज मध्यप्रदेश के लिए बेहद खास दिन है,क्योंकि आज के ही दिन PM मोदी ने अपने जन्मदिन पर मध्यप्रदेश के श्योपुर में चीता प्रोजेक्ट की सौगात दी थी,आज इस प्रोजेक्ट को पूरा एक साल हो गया, नामीबिया से मेहमान बन कर आये चीते अब हमारे देश की सरजमी पर बस गए हैं।
80% प्रतिशत चीते जीवित
17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीतों को भारत लाया गया था और अब इनका कुनबा भी बढ़ चुका है। इस तरह चीता परियोजना के तहत लाये गए 80% प्रतिशत चीते जीवित है। सबसे अच्छी बात यह भी है कि चीते यहां के माहौल में घुल मिल गए हैं। रविवार के दिन श्योपुर कूनो नेशनल पार्क में जश्न भी मनाया गया। चीता प्रोजेक्ट से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन चीतों ने मुश्किल परिस्थितियों के बीच भारतीय मौसम से अनुकूलन करके खुद को जीवित रखते हुए यहां चीतों के प्रजनन की संभावनाओं को खोल दिया है। हालांकि, नामीबिया से लाए गए 8 चीतों में से दो की मौत हो चुकी है।
चीता प्रोजेक्ट से जुड़ीं खास बातें
- 17 सितंबर 2022 पीएम मोदी के जन्मदिन का खास मौका
- पीएम मोदी ने नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा
- 18 फरवरी 2023 को 12 चीते दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क लाये गये
- इस तरह कूनो नेशनल पार्क मेंकुल 20 चीते हो गए
- मादा चीता सियाया ने चार शवको को जन्म दिया
- भारत में 5 दशक बाद पहली बार 4 शावकों का जन्म हुआ
- अभी तक 9 चीतों की मौत हो चुकी है,जिनमे तीन शावक भी शामिल है। जिनका कूनो में ही जन्म हुआ था।
- कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में अब कुल 15 चीते जिनमे 7 नर,6 मादा और 1 शावक है।
- कूनो और नामीबिया के वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट लगातार उनका हेल्थ चेकअप कर निगरानी रखे हुए हैं।
- 1 साल पूरा होने पर कूनो नेशनल पार्क में उत्सव मनाया गया
कब-कब हुई कूनो में चीतों की मौत
- 26 मार्च 2023 किडनी इन्फेक्शन से माता चिता साशा की मौत
- 23 अप्रैल 2023 को नर चीता उदय की हार्ट अटैक से गई जान
- 9 मई 2023 को माता चीता दक्षा की मैटिंग के दौरान हुई मौत
- 23 मई 2023 को ज्वाला के एक शावक की मौत
- 25 मई 2023 को ज्वाला के दो और शावकों की हुई मौत
- 11 जुलाई 2023 को नर चीता तेजस की चीतों के संघर्ष में जान गई
- 14 जुलाई 2023 को नर चीता सूरज ने दम तोड़ा
प्रोजेक्ट देश के लिए एक बड़ी चुनौती
भारत की जलवायु में चीतों के जीवित रहने की दर करीब 50 फ़ीसदी ही है। शावको में यह दर मात्र 10% हैं, ऐसे में एक साल पूरा होने पर लगभग 80 प्रतिशत सफलता इस प्रोजेक्ट को मजबूती दे रही है। इसके अलावा एक साल सफलतापूर्वक पूरा होने पर श्योपुर जिले के प्रभारी और शिवराज कैबिनेट में उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह कुशवाह का कहना है कि यह प्रोजेक्ट देश के लिए एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि चीते 1972 से भारत की धरती से विलुप्त थे। लेकिन इतने लंबे अंतराल के बाद चीता देखने का सौभाग्य हमें पीएम मोदी के जरिए ही प्राप्त हुआ। इस दौरान किसी बीमारी या अन्य कारणों से चीतों की मौत भी हुई है। उस पर भी विशेषज्ञों ने स्टडी की है और हमारा मध्य प्रदेश यूं तो टाइगर स्टेट के नाम से पहचाना जाता है। लेकिन अब हम चिता स्टेट के नाम पर भी मध्य प्रदेश को डेवलप करने की कोशिश कर रहे हैं। जल्द ही एक्सपर्ट चीतों को खुले मैदान में छोड़ने पर चिंतन मंथन करेंगे और अंतिम निर्णय लेंगे।
एक साल पूरा होने पर भी सियासत का दौर जारी
वहीं, चीतों के भारत आने से लेकर उनकी मौत होने और अब एक साल पूरा होने पर भी सियासत का दौर जारी है, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह का कहना है कि चीता प्रोजेक्ट पूरी तरह से फैल रहा है, उनको सड़ा हुआ मांस खिलाया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने हर आदमी को लूटने का प्रयास किया है चीतों को भी नकली भोजन दिया जा रहा है उनकी व्यवस्था नहीं की जा रही है। यही वजह है की चीतों की मौत भी हुई है, पीएम मोदी ने अपना चेहरा चमकाने के लिए इस प्रोजेक्ट पर करोडों रुपए बर्बाद कर दिए, पीएम मोदी अब पत्थर वाले प्रधानमंत्री कहलाए जाने लगे हैं, क्योंकि उन्हें हर जगह शिलान्यास लोकार्पण और भूमि पूजन नजर आता है। जहां देखो वहां अपने नाम का पत्थर लगाते फिर रहे हैं।