विपिन श्रीवास्तव की रिपोर्ट
2023 के सेमीफाइनल की तैयारी जितनी धुंआधार रही नतीजे उतने ही चौंकाने वाले और अप्रत्याशित रहे। कांटे की टक्कर में जनता के मूड ने ऐसा उलझाया कि सियासी पार्टियों के धुरंधर और चुनावी पंडित माने जाने वाले विश्लेषकों का गणित धरा का धरा रह गया। अब प्रदेश का चेहरा कौन… लड़ाई इस पर आ गई है। राज्य में जीत दर्ज करने वाले पांच सांसदों ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कह रहे हैं मैं सीएम की रेस में नहीं हूं। दरअसल, उनके साथ-साथ प्रदेश में ऐसे चेहरों की भरमार है जो सीएम के तौर पर अपनी दावेदारी को मजबूत बनाते हैं। ऐसे में सबकी जुबां पर यही सवाल है कि सत्ता की कमान किसे मिलेगी।
जब तक दिल्ली के दिल की बात ज़ुबान पर नहीं आएगी तब तक तीनों राज्यों की कमान किसके हाथ में जाएगी इस पर सस्पेंस बना रहेगा। तीन दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए थे लेकिन अभी तक फैसला नहीं हो पाया है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सीएम कौन होगा। इसे लेकर राज्यों से लेकर केंद्र तक बीजेपी में मंथन चल रहा है लेकिन मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं हो रहा है। मध्य प्रदेश को लेकर तो करीब-करीब तय माना जा रहा है शिवराज सीएम पद पर बने रहेंगे। लेकिन भाजापा आलाकमान के सूत्रों से एक खबर बाहर आई है कि तीनों राज्यों में नए चेहरे पर मुहर लग सकती है। और तो और सांसदों के इस्तीफों ने संकेत देने शुरू कर दिए हैं कि इनमें से भी किसी का नाम हो सकता है। बता दें कि भाजपा ने मध्य प्रदेश में सात सांसदों को मैदान में उतारा था। इनमें जिनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी शामिल हैं।
वैसे तो एमपी में सीएम के लिए सबसे प्रबल दावेदार अभी तक शिवराज सिंह चौहान ही हैं… पढ़िए ऐसा क्यों…
क्यों शिवराज सबसे मजबूत दावेदार ?
- 18 साल से बीजेपी का प्रदेश में सबसे बड़ा चेहरा
- 17 साल से मुख्यमंत्री हैं, सीएम की 4 पारियां खेल चुके हैं
- 5 बार सांसद रह चुके हैं
- लाड़ली बहना योजना जीत में गेमचेंजर रही
- ओबीसी से आना मजबूत करता है दावेदारी
- साइलेंट वोटर महिलाओं के बीच मजबूत पकड़
- राज्या में मास लीडर वाली छवि वाले नेता
- संघ की पसंद भी हैं शिवराज
ये भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में CM को लेकर जल्द खत्म होगा सस्पेंस! कैलाश विजयवर्गीय ने दिया बड़ा बयान
सीएम पद की रेस में शामिल दूसरे बड़े नेता के तौर पर प्रह्ललाद सिंह पटेल को देखा जा रहा है। जिन सात सांसदों को मैदान में उतारा गया था उनमें एक नाम उनका भी है। उन्होंने आलाकमान की उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करते हुए विधानसभा चुनाव में नरसिंहपुर से शानदार जीत दर्ज की है। वह भी सांसदी से इस्तीफा दे चुके हैं।
पटेल ने हाल ही में कहा था कि तीन दशक का अनुभव जिंदगी में काम आएगा। उनके इस बयान के यह मायने निकाले जा रहे हैं कि क्या वह तीन दशकों के अनुभव का इस्तेमाल एमपी के मुख्यमंत्री के तौर पर करने की बात कर रहे हैं। ऐसे में कौन से प्वाइंट प्रह्लाद पटेल को सीएम की रेस में शामिल चेहरे के तौर पर पेश करते हैं…
प्रह्लाद पटेल की दावेदारी के कारण
- शिवराज के बाद राज्य में दूसरा बड़ा ओबीसी चेहरा
- लंबा संगठनात्मक और प्रशासनिक अनुभव
- उसी लोधी समाज से आते हैं, जिस समाज से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती हैं
- केंद्रीय नेतृत्व से भी रिश्ते मधुर माने जाते हैं जिसका फायदा उन्हें मिल सकता है
- मोदी सरकार में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री थे
- जमीन से जुड़े और साफ सुथरी छवि वाले नेता माने जाते हैं
ये भी पढ़ें: कांग्रेस विधायक ने अपना मुंह किया काला, दावा फेल हुआ तो पूरा किया वादा
इसके अलावा पूर्व कृषि मंत्री और अब इस्तीफे के बाद दिमनी से प्रचंड जीत हासिल करने वाले विधायक नरेंद्र सिंह तोमर भी राज्य में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल माने जा रहे हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर को जानिए
- मध्य प्रदेश में बीजेपी चुनाव अभियान समिति के प्रमुख रहे
- मोदी से नजदीकी उनके लिए वरदान बन सकती है
- नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं
- मध्य प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं तोमर
चौथा नाम जो सीएम की रेस में चर्चा में है वह कैलाश विजयवर्गीय का है।
ये भी पढ़ें: मां अंडे बेचती हैं…बारिश में छत टपकती है…मिलिए MP के सबसे गरीब MLA कमलेश्चवर सिंह से
ये बातें बनाती हैं विजयवर्गीय को दावेदार
- पश्चिम बंगाल के प्रभारी रहे, चुनावी मैनेजमेंट से पार्टी को स्थापित किया
- अमित शाह के भी खास माने जाते हैं
- विजयवर्गीय शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे हैं
- मालवा-निमाड़ में गहरी पकड़ है
कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी किस्मत खुल सकती है। सिंधिया 2020 में बीजेपी की राज्य की सत्ता में वापसी के सूत्रधार रहे थे। इसलिए इनको लेकर भी कयासों का बाजार गर्म है।
इसलिए सिंधिया भी दौड़ में
- ग्वालियर-चंबल में सिंधिया की धमक
- ग्वालियर-चंबल में बीजेपी को 18 सीटें दिलाईं
- भाजपा में शामिल होकर संघ और संगठन दोनों के साथ तालमेल बनाया
- शिवराज से भी अच्छे रिश्ते हैं
- मोदी और शाह दोनों के भरोसेमंद हैं
यूपी का फॉर्मूला भी लगा सकती है भाजपा
इसके साथ ही अटकलें हैं कि मध्य प्रदेश में भाजपा यूपी फॉमूले पर भी काम कर सकती है। चर्चा है कि एमपी में भी एक सीएम और दो डिप्टी सीएम हो सकते हैं। तीन अहम पदों के जरिए बीजेपी प्रदेश में जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश करेगी। मध्य प्रदेश में विंध्य और मालवा-निमाड़ के क्षेत्र में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है। ऐसे में इन इलाकों के नेता को बड़ा प्रतिनिधित्व मिल सकता है।