पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीन राज्यों में भारी जीत हासिल की है। अब इस बात के अनुमान लगाए जा रहे हैं कि यहां पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए किन्हें चुनेगी। इसी बीच मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को इस पद के लिए अपनी दावेदारी पर जोर बनाए बिना पार्टी नेतृत्व को एक संदेश भेजते नजर आए।
चार बार मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज ने इस बार भाजपा को राज्य में शानदार जीत दिलाई है। लेकिन इस बात की संभावना बन रही है कि पार्टी इस बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किसी और को बैठाए। ऐसी अटकलें इसलिए लग रही हैं क्योंकि पार्टी अन्य संभावित चेहरों पर चर्चा कर रही है और पीढ़ीगत बदलाव की ओर रुख कर रही है।
कहा- समाज के हर वर्ग के हित के लिए कर रहे काम
मुख्यमंत्री ने बुधवार को डॉ. भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि के मौके पर भोपाल में एक कार्यक्रम में शिरकत करने गए थे। यहां उन्होंने कहा कि मैंने डॉ. आंबेडकर को श्रृद्धांजलि अर्पित की। भाजपा सरकार उनके दिखाए मार्ग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रही है। हम समाज के आखिरी छोर पर खड़े लोगों के हित के लिए काम कर रहे हैं।
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भाजपा ढूंढ रही है मुख्यमंत्री पद के लिए नया चेहरा
इसे कई लोग मुख्यमंत्री की ओर से पार्टी नेतृत्व को यह याद दिलाने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं कि किस तरह उनकी सरकार की लाड़ली बहना जैसी योजनाओं ने भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भाजपा मुख्यमंत्री पद के लिए वरिष्ठ नेताओं के स्थान पर एकदम नए चेहरों पर विचार कर रही है।
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चौहान खुद को बताते रहे हैं भाजपा का ‘पैदल सैनिक’
दरअसल, तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री का फैसला भाजपा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए लेना चाहती है। यूं तो मध्य प्रदेश में शिवराज ने कभी भी खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं कहा है। लेकिन उनके ही नेतृत्व में पार्टी को 230 विधानसभा सीटों में से 163 पर जीत हासिल हुई है। चौहान खुद को पार्टी का पैदल सैनिक बताते आए हैं।
‘लोकसभा चुनाव में भाजपा को जिताएंगे सभी 29 सीटें’
इससे पहले मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि मेरा अगला लक्ष्य अगले साल होने वाले आम चुनाव में राज्य की सभी 29 सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित करना है। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खाते में 28 लोकसभा सीटें आई थीं जबकि एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी।
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चौहान ने शुरुआत से ही यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह पद की दौड़ में नहीं हैं। इसीलिए वह दिल्ली भी नहीं गए। उन्होंने मंगलवार को कहा था कि मैं बुधवार को दिल्ली नहीं जाऊंगा। मैं छिंदवाड़ा जाऊंगा जहां हम सभी सात विधानसभा सीटें नहीं जीत पाए। मेरा केवल एक संकल्प है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा मध्य प्रदेश की सभी 29 सीटें जीते।