MP Assembly Election: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की बिसात बिछाई जाने लगी है। प्रदेश में भले ही 6 महीने बाद विधानसभा चुनाव होंगे, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस की रणनीति की सियासी झलक अब प्रदेश में दिखनी शुरू हो गई है। कांग्रेस की नजरें इस बार बीजेपी के उन नेताओं पर हैं जो पार्टी से किसी न किसी वजह से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में जनाधार वाले इन नेताओं को कांग्रेस अपने पाले में लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। इसी सियासी हलचल में चुनाव से पहले ही मध्य प्रदेश की एक विधानसभा सीट हॉट बन गई है, जिस पर सबकी नजरें है।
सियासत का केंद्र बनी हाटपिपलिया सीट
देवास जिले की हाटपिपलिया विधानसभा सीट इस वक्त मध्य प्रदेश की सियासत का केंद्र बनी हुई है, क्योंकि इस सीट को लेकर ही प्रदेश की सियासत में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। दरअसल, बीजेपी के कद्दावर नेता दीपक जोशी के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें चल रही हैं, माना जा रहा है कि अगर वह कांग्रेस में शामिल होते हैं तो पार्टी उन्हें हाटपिपलिया विधानसभा सीट से प्रत्याशी बना सकती है, क्योंकि यह दीपक जोशी की पारंपरिक सीट मानी जाती है। लेकिन उनके कांग्रेस में शामिल होने से पहले ही यहां बड़ा ऐलान हो गया।
सज्जन सिंह वर्मा ने घोषित किया प्रत्याशी
दरअसल, कमलनाथ सर्मथक पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने एक दिन पहले हाटपिपलिया सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी का ऐलान कर दिया। सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि राजवीरसिंह बघेल का टिकट अगले चुनाव के लिए हाटपिपलिया सीट से फाइनल हो गया है। सज्जन सिंह वर्मा कमलनाथ के कट्टर समर्थक माने जाते हैं, ऐसे में उनकी बात में दम भी नजर आता है, लेकिन उनके इस ऐलान के बाद इस बात की अटकलें भी तेज हो गई हैं कि अगर दीपक जोशी कांग्रेस में आते हैं तो फिर वह किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।
दूसरे दावेदारों ने खोला मोर्चा
हालांकि सज्जन सिंह वर्मा के इस ऐलान के बाद उनकी ही पार्टी में दूसरे दावेदारों ने भी मोर्चा खोल दिया है। युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव विश्वजीत सिंह चौहान ने भी इस सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं, ऐसे में उन्होंने कहा कि सज्जन सिंह वर्मा को टिकट फाइनल करने का कोई अधिकार नहीं है। टिकट तो कमलनाथ फाइनल करेंगे। इसके लिए सज्जन सिंह वर्मा को माफी मांगना चाहिए क्योंकि इस अनुशासहीनता से पार्टी को नुकसान हो सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि कमलनाथ और संगठन जो निर्णय करेगा वो सर्वमान्य होगा।
उपचुनाव के बाद से ही चर्चा में हाटपिपलिया
दरअसल, देवास जिले की हाटपिपलिया विधानसभा सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता दीपक जोशी लगातार दो चुनाव जीत चुके थे, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी मनोज चौधरी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लेकिन जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए तो मनोज चौधरी भी विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए।
दोनों नेता फिर जता रहे दावेदारी
2020 के उपचुनाव में बीजेपी ने मनोज चौधरी को प्रत्याशी बनाया और कांग्रेस ने राजवीर सिंह बघेल को मैदान में उतारा। लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में दीपक जोशी ने बीजेपी प्रत्याशी मनोज चौधरी के समर्थन में प्रचार किया था। लेकिन 2023 का चुनाव आते-आते परिस्तिथिया पूरी तरह से बदल गई है। क्योंकि दीपक जोशी अपनी पारंपरिक सीट से टिकट की मांग कर रहे हैं, जबकि मनोज चौधरी भी अपनी दावेदारी फिर जता रहे हैं।
कांग्रेस की नजर
खास बात यह है कि विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी किसी एक को ही टिकट देगी, ऐसे में कांग्रेस ने दीपक जोशी पर अपनी नजरें जमा दी है। क्योंकि कांग्रेस इस सीट पर 2018 वाला प्रदर्शन दोहराना चाहती है। जबकि बीजेपी अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखना चाहती है। ऐसे में अगर दीपक जोशी कांग्रेस में आते हैं तो यह सीट जरूर चर्चा में रहेगी।