MP Assembly Election: साल के आखिर में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी अकेले लड़ने का ऐलान पहले ही कर चुकी है। जबकि अब पार्टी ने एक और बड़ा फैसला किया है। जो बसपा के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। जिससे बसपा को एमपी में पहली बार सत्ता सुख भी मिल सकता है।
सरकार में शामिल होने पर विचार करेगी बसपा
दरअसल, बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मध्य प्रदेश ईकाई के नेताओं के साथ बैठक करके आगामी चुनाव के लिए रणनीति बनाई है। इस बैठक में बसपा ने बड़ा फैसला लिया है। इस बार बसपा मध्य प्रदेश में किसी भी दल को समर्थन करने की बजाए सरकार में शामिल होने पर विचार करेगी। यानि पार्टी के विधायक केवल सरकार को समर्थन नहीं करेंगे बल्कि सरकार में हिस्सेदारी भी लेंगे। अगर ऐसा होता है तो बसपा पहली बार मध्य प्रदेश में सत्ता सुख हासिल कर सकती है।
तोड़ फोड़ से बचने के लिए बनाई रणनीति
बीएसपी की बैठक में मायावती ने कहा कि बसपा कई राज्यों में बैंलेंस ऑफ पावर बनी है। जहां हमारी पार्टी के प्रत्याशी अच्छी संख्या में चुनकर आते हैं। लेकिन विरोधी षडयंत्र कर हमारे विधायकों को तोड़ लेते हैं। इसलिए इस बार विधायकों की तोड़फोड और दलबदल को रोकने के लिए सरकार को सीधा समर्थन देने की बजाए सरकार में शामिल होने पर विचार किया जाएगा। बैठक में मप्र के प्रदेश प्रभारी(राज्यसभा सांसद) रामजी गौतम, प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल, प्रदेश प्रभारी मुकेश अहिरवार, अवधेश सिंह राठौर मौजूद थे।
चुनाव अकेली लड़ेगी बसपा
इससे पहले मध्य प्रदेश में बसपा ने अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पार्टी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि यूपीए और एनडीए गठबंधन मैं रहने वाले राजनीतिक दलों से कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा। पार्टी अपने दम पर ही मध्य प्रदेश सहित तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
मिला जुला रहा बसपा का प्रदर्शन
बता दें कि बसपा का प्रदर्शन एमपी में मिला जुला रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को 2 सीटें मिली थी, जबकि कई सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने चार सीटें जीती थी और कई सीटों पर दूसरे और तीसरे नंबर पर रही थी। लेकिन मध्य प्रदेश में बसपा का प्रदर्शन हमेशा उतार-चढ़ाव भरा रहा है। पार्टी का बुंदेलखंड, विंध्य और ग्वालियर-चंबल अंचल में अच्छा प्रभाव है। 2018 में बसपा के विधायकों ने पहले कमलनाथ सरकार को समर्थन किया था। जबकि बाद में शिवराज सरकार को भी समर्थन देते नजर आए थे। बाद में बसपा का एक विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे।
बात अगर पिछले सात विधानसभा चुनावों की जाए तो बसपा मध्य प्रदेश में 5 से 6 प्रतिशत तक वोट हासिल करती रही है। हालांकि पार्टी की सीटों में उतार-चढ़ाव होता रहा है। 2008 में 9 प्रतिशत, 2013 में 6.29 प्रतिशत, 2018 में 5.01 प्रतिशत, 2018 में 5.01 प्रतिशत वोट बसपा को मिला था। लेकिन पिछले तीनों चुनावों से बसपा के वोट बैंक में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है।