Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए सभी पार्टियों ने अपना प्रचार-प्रसार तेज कर दिया है। इस दौरान आचार संहिता के बीच एक सरकारी शिक्षिका को राजनीतिक दल का प्रचार करना महंगा पड़ गया, जिसके बाद कलेक्टर ने उसको निलंबित कर दिया है। कलेक्टर ने यह कार्रवाई रिटर्निंग ऑफिसर के प्रतिवेदन के आधार पर की है।
जानें क्या है नियम?
दरअसल, सरकारी माध्यमिक शाला की माध्यमिक शिक्षिका विजयाराजे बुंदेला के द्वारा एक राजनीतिक दल के अभ्यर्थी का प्रचार किया गया था, जिसके बाद कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी दीपक आर्य ने रिटर्निंग ऑफिसर विस क्षेत्र 36-खुरई के प्रतिवेदन पर मामले की जानकारी मिलने पर उक्त शिक्षिका को निलंबित कर दिया है। बता दें कि मध्य प्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 एवं 5 (4) के तहत कोई भी शासकीय सेवक किसी विधान मंडल या स्थानीय प्राधिकरण के निर्वाचन में न तो मत याचना कर सकता है और न ही हस्तक्षेप कर कर सकता है। इसके साथ ही इस सबंध में वह अपने प्रभाव का प्रयोग भी नहीं कर सकता है।
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मामले में हुई कार्रवाई
माध्यमिक शिक्षिका विजयाराजे बुंदेला द्वारा राजनीतिक दल विशेष के प्रचार-प्रसार में सम्मिलित पाई गई हैं। यह मध्य प्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 एवं 5 (4) के तहत और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अंतर्गत कदाचार की श्रेणी में आता है। विजयाराजे बुंदेला उर्फ गिन्नी प्रथम दृष्ट्या दोषी पाई गई हैं, ऐसे में शिक्षिका को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के प्रावधानों और मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि के दौरान शिक्षिका को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा।
बता दें कि पांच राज्यों में चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद प्रत्येक पार्टी ने चुनाव प्रचार के लिए कमर कस ली है। मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दो बड़ी पार्टियां हैं, जिनमें दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा।