Lok Sabha Election 2024 MP Chhindwara Seat: भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी कड़ी में उसका फोकस हारी हुई सीटों के साथ ही जीती हुई सीटों पर भी है। मध्य प्रदेश में बीजेपी का फोकस इस बार क्लीन स्वीप करने पर है। पिछली बार उसने यहां की 29 सीटों में से 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सिर्फ छिंदवाड़ा में उसे हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, इस बार बीजेपी छिंदवाड़ा में भी जीत दर्ज करने के लिए पूरी कोशिश रही है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ चुनावी मैदान में थे।
छिंदवाड़ा में 1972 के अलावा कांग्रेस को कभी नहीं मिली हार
बता दें कि छिंदवाड़ा में पिछले 72 साल से कांग्रेस का ही कब्जा है। यहां से 1972 के अलावा कांग्रेस को कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा। यहां तक कि जब देश में इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस के खिलाफ लोगों में आक्रोश का माहौल था, उस समय भी छिदवाड़ा में कांग्रेस को जीत मिली थी। यहां पर 1990 से लेकर अब तक कमलनाथ परिवार का एकछत्र राज रहा है। पहले कमलनाथ तो अब उनका बेटा नकुलनाथ अपने परिवार की विरासत वाली सीट को संभाल रहे हैं।
#WATCH | Chhindwara: Former Madhya Pradesh CM and Congress leader Kamal Nath says, "…You gave me love and trust for so many years…Kamal Nath ko aap vida karna chahte hain, yeh toh aapki marzi, mein vida hone ke liye taiyar hoon, mein apne aap ko thopna nahi chahta…" pic.twitter.com/WfLt4lBtlF
— ANI (@ANI) February 28, 2024
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2014 में बीजेपी ने एमपी में जीतीं 27 सीटें
अगर बात 2014 के लोकसभा चुनाव की करें तो एमपी में बीजेपी ने 27 सीटें जीती थीं। सिर्फ छिंदवाड़ा और गुना में उसे हार का सामना करना पड़ा। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को 5 साल पहले छिंदवाड़ा का प्रभारी बनाया गया था। तब से लेकर अब तक उन्होंने और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई दौरे किए । इस दौरान जमीनी स्तर पर बीजेपी काफी मजबूत हुई है।
#WATCH | Chhindwara: Amid rumours of him joining the BJP, former Madhya Pradesh CM Kamal Nath says, "… Rumours were spread that Kamal Nath is going to join the BJP. When did I say I'm joining BJP? Have I gone mad?" pic.twitter.com/NaC8Ih1ui6
— ANI (@ANI) February 28, 2024
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खरगोन में इस बार आसान नहीं होगा भगवा लहराना
खरगोन जिले में भी इस बार भगवा लहराना आसान नहीं रहने वाला है। इसकी झलक हमें विधानसभा चुनाव में देखने को मिली। यहां की आठ विधानसभा सीटों में से अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 5 सीटों में से 4 पर कांग्रेस तो एक सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी। यहां से बीजेपी ने एक बार फिर गजेंद्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है।
आदिवासी बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस की पकड़ मजबूत
इस तरह, धार आदिवासी बाहुल्य सीट है। यहां की आठ में से 5 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला आदिवासी सीट से सांसद हैं। यह सीट महाकोशल में आती है। मंडला संसदीय सीट में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं, जिसमें से 5 पर कांग्रेस तो 3 में बीजेपी को जीत मिली है। वहीं, रतलाम-झाबुला सीट में 8 में से 7 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जिसमें से बीजेपी और कांग्रेस को तीन-तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
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बीजेपी को आदिवासी बाहुल्य सीटों पर उठाना पड़ सकता है नुकसान
बता दें कि मध्य प्रदेश की आदिवासी बाहुल्य सीटों पर 28 साल बाद विधानसभा चुनाव में मालवा से लेकर महाकोशल तक नुकसान उठाना पड़ा। बीजेपी का खुद मानना है कि इस बार एसटी वर्ग के लिए आरक्षित 6 सीटों में से शहडोल और बैतूल को छोड़कर धार, खरगोन, मंडला और रतलाम में माहौल उसके खिलाफ है। यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने प्रचार अभियान की शुरुआत झाबुला से की। विधानसभा में आरक्षित 47 सीटों में से बीजेपी को 24 और कांग्रेस को 22 सीटों पर जीत मिली थी। एक सीट अन्य के खाते में गई थी।
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