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ग्वालियर-चंबल में ‘मिशन-2023’ के लिए कौन होगा कांग्रेस का चेहरा, क्या सिंधिया का विकल्प बनेंगे यह नेता ?

MP Assembly Election: कभी पूरे मध्य प्रदेश समेत ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी के साथ हैं। साल के आखिर में होने वाला विधानसभा चुनाव ऐसा पहला चुनाव होगा जब सिंधिया कांग्रेस के विरोध में खड़े होंगे। ऐसे में अंचल के सियासी समीकरण बदल चुके है। जिससे […]

Edited By : Arpit Pandey | Updated: Jul 25, 2023 18:33
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MP Assembly Election

MP Assembly Election: कभी पूरे मध्य प्रदेश समेत ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी के साथ हैं। साल के आखिर में होने वाला विधानसभा चुनाव ऐसा पहला चुनाव होगा जब सिंधिया कांग्रेस के विरोध में खड़े होंगे।

ऐसे में अंचल के सियासी समीकरण बदल चुके है। जिससे इस बात की भी चर्चा है कि ग्वालियर चंबल में कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया का विकल्प कौन बनेगा।

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2018 में सिंधिया ने दिखाया था दम

बीजेपी में शामिल होने से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस के क्षत्रप के रूप में देखे जाते थे। 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने उन्हें चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष भी बनाया था। इसका असर भी देखने मिला था और कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 34 में से 26 सीट जीतकर 33 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था।हालांकि सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद समीकरण बदल गए हैं। ऐसे में कांग्रेस के सामने एक बड़ी परेशानी यह है कि आखिर ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह यानी कि उनका विकल्प कौन बनेगा।

ये नेता बन सकते हैं सिंधिया का विकल्प 

हालांकि ग्वालियर चंबल अंचल से आने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओ की लिस्ट भी लंबी हैं जो सिंधिया का विकल्प बन सकते हैं। जिनमें सबसे पहला नाम नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह का है, इसके बाद पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव, पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह, सीनियर कांग्रेस विधायक के पी सिंह के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह का नाम भी इस सूची में है।

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इतने चेहरों की मौजूदगी के चलते कांग्रेस का मानना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने से उनकी पार्टी को कोई फर्क नहीं हुआ है।

कांग्रेस का अपना दावा

हालांकि कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और कभी सिंधिया के करीबी रहे रामनिवास रावत का कहना है कि 2003 और 2008 के बाद के सभी परिणाम जो अंचल से सामने निकल कर आए हैं, वह साफ दर्शा रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी का अंचल में मजबूती का ग्राफ शुरू से ही कायम रहा है। 2020 के उपचुनाव के दौरान भी पार्टी ने इस बात को सिद्ध करते हुए कायम रखा है। सिंधिया के जाने से कोई अंतर नही आया है,वही उनका विकल्प देखे तो बहुत सारे सीनियर नेता पार्टी को मजबूती दे रहे है।

बीजेपी कस रही तंज

वहीं इस मामले में बीजेपी कांग्रेस पर तंज कसती नजर आ रही है। बीजेपी नेता घनश्याम पिरोनिया का कहना है कि उनकी पार्टी में सभी मजबूत नेता है और अब सिंधिया भी उनकी पार्टी पार्टी में हैं, ऐसे में उन्हें जबरदस्त फायदा होगा। वहीं कांग्रेस में सिर्फ नाम के दिग्गज नेता हैं, लेकिन कोई भी सिंधिया का विकल्प नहीं बन पा रहा है।

ग्वालियर चंबल अंचल के कुछ खास आंकड़े

  • 2018 विधानसभा चुनाव में 34 में से 26 सीटें कांग्रेस को मिली थी
  • सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने पर अंचल के 15 विधायक सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए
  • 2020 में हुए उपचुनाव के दौरान 8 सीटें बीजेपी और 7 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी
  • फिलहाल 34 में से 17 सीट BJP और 17 CONG के पास हैं

ग्वालियर चंबल अंचल मध्य प्रदेश की राजनीति का मुख्य केंद्र माना जाता है, इस अंचल में कुल 8 जिले हैं, जिनमें विधानसभा की 34 सीटें हैं।

ऐसे में यहां पर जो भी राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतता है, उसकी सरकार बनाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।यही वजह है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल अंचल की सीटों पर सभी की निगाहें टिकी हुई है।

ग्वालियर से कर्ण मिश्रा की रिपोर्ट

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Written By

Arpit Pandey

First published on: Jul 25, 2023 06:31 PM

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