MP Politics: राहुल गांधी को मानहानि के मामले में सूरत कोर्ट से मिली सजा के फैसले को कोर्ट ने बरकरार रखा है। जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस के नेता आमने-सामने है। कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस के नेताओं ने बीजेपी पर निशाना साधा है। वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बड़ा बयान दिया है।
राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने मानहानि मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद उनकी संसद सदस्यता को भी रद्द कर दिया गया है। इसके बाद राहुल गांधी सूरत कोर्ट में पुर्नविचार याचिका लगाई थी। लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए उनकी सजा को बरकरार रखा है। जिसके बाद कांग्रेस के नेताओं ने एक बार फिर इस फैसले पर नाराजगी जताई है।
राहुल गांधी को ओबीसी समाज से माफी मांग लेते
राहुल गांधी के कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस नेताओं के सवाल उठाने पर जब सीएम शिवराज सिंह चौहान से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ‘ कांग्रेस के मित्रों को पता नहीं क्या हो गया है, राहुल गांधी को सजा से बचने के लिए बड़ा आसान था, बस उन्हें ओबीसी समाज से माफी मांगनी थी। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया उल्टा कांग्रेस के लोग कोर्ट के फैसले पर टिप्पणियां और उंगलियां उठाई जा रही हैं, यहां तक की माननीय न्यायाधीश के बारे में भी उल्टा सीधा बोला जा रहा है।’
सीएम शिवराज ने कहा कि ‘एक तरफ आप कोर्ट में जाते हो दूसरी तरफ कोर्ट के बारे में भी उटपटांग बोलते हो आखिर क्या हो गया है, क्या आप जो कहते हो वही सच है, राहुल जी को अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए, ओबीसी समाज से माफी मांगनी चाहिए, कम से कम यह लोकतंत्र है कांग्रेस के नेताओं को न्यायपालिका का अपमान नहीं करना चाहिए। क्योंकि पूरे देश का विश्वास और भरोसा है तो न्यायपालिका पर ही है।’
कमलनाथ-दिग्विजय पर साधा निशाना
वहीं अपने ही संगठन और बूथ मैनेजमेंट को कमजोर बताने वाले दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बयान पर सीएम शिवराज ने निशाना साधते हुए कहा कि ‘भावी मुख्यमंत्री, अवश्यंभावी मुख्यमंत्री खुद को बताया, अब कह रहे हैं संगठन कमजोर है। कोई कह रहा है बूथ कमजोर है, अब कमलनाथ सही बोल रहे हैं या दिग्विजय सिंह वह दोनों फैसला कर लें।
इसके अलावा बीना में अधिकारियों को लेकर कमलनाथ के दिये बयान पर सीएम शिवराज ने कहा कि ‘पता नहीं कमलनाथ को क्या हो गया है देख लूंगा निपटा दूंगा, लेकिन लोक सेवक सरकारी अधिकारी और कर्मचारी आखिर इंसान हैं, उनको धमकाना किसी भी हालत में उचित नहीं है। नैतिक भी नहीं है वो भी इंसान हैं। अधिकारियों का भी सम्मान होना चाहिए, मुंह में आया और बोल दिया कि मैं देख लूंगा, क्या यह भाषा उचित है मैं इसकी निंदा करता हूं।’