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मृत भैंस का बीमा पाने में सींग बने रोड़ा, ग्वालियर उपभोक्ता फोरम ने इस तरह सुलझाया मामला

Gwalior News: ग्वालियर उपभोक्ता फोरम में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है। जहां एक भैंस की मौत हो जाने के बाद उसके गोल और सीधे सींग के मसले को हल करते हुए फोरम ने बीमा राशि के विवाद को सुलझाया। मामले में फोरम ने बीमा कंपनी की अपील को खारिज करते हुए उपभोक्ता को […]

Edited By : Arpit Pandey | Updated: Jul 12, 2023 19:13
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buffalo dead insurance Case
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Gwalior News: ग्वालियर उपभोक्ता फोरम में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है। जहां एक भैंस की मौत हो जाने के बाद उसके गोल और सीधे सींग के मसले को हल करते हुए फोरम ने बीमा राशि के विवाद को सुलझाया। मामले में फोरम ने बीमा कंपनी की अपील को खारिज करते हुए उपभोक्ता को बीमा राशि देने का भी आदेश दिया है।

बीमारी की वजह से हुई थी भैंस की मौत

दरअसल, मामला ग्वालियर की ग्राम पंचायत सोजना का है, जहां तिघरा निवासी फेजरुउद्दीन की भैंस बीमारी के चलते चल बसी थी। फेजरुउद्दीन ने बीमा कंपनी से 18 अक्टूबर 2015 से लेकर 17 अक्टूबर 2021 तक के लिए दो भैंस का बीमा कराया। बीमा राशि 1 लाख 30 हजार रुपये थी। 25 मई 2021 को उसकी भैंस बीमार हुई और 29 मई 2021 को एक भैंस की मौत हो गई थी। लेकिन जब भैंस का बीमा क्लेम करते हुए कंपनी से मुआवजा मांगा तो कंपनी ने बीमा राशि देने से मना कर दिया था।

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गोल और सीधे सींग में फंसा मामला

बीमा कंपनी ने गोल और सीधे सींग की उलझन में बीमा राशि देने से मना कर दिया, कंपनी ने कहा कि जिस भैंस का बीमा किया गया था, उसके सींग गोल थे, जबकि जिस भैंस की मौत होना बताया गया है। उसके सींग सीधे थे। क्लेम करने के लिए फेजरुउद्दीन ने कंपनी को आवेदन दिया। लेकिन 9 दिसंबर 2021 को कम्पनी ने आवेदन निरस्त करते हुए कहा कि जिस भैंस की मौत हुई, उसका बीमा ही नहीं था।

उपभोक्ता फोरम ने सुलझाया मामला

जब बीमा कंपनी ने पैसा देने से मना कर दिया तो पूरा मामला उपभोक्ता फोरम पहुंचा। जहां भैंस मालिक की ओर से याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जितेंद्र जैन ने फोरम मे बताया कि 7-8 माह के भीतर भैंस के सींग काटना पड़ते हैं, यदि ऐसा नहीं किया गया तो सींग भैंस को नुकसान पहुंचाते हैं। फोरम में मृत भैंस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट उस दौरान लिए गए फोटोग्राफ्स, मृत भैंस के बींमा कंपनी द्वारा लगाए गए टैग को जानकारी बतौर फोरम में बताया गया।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने यह भी बताया कि बीमा कंपनी के जानवर में लगाए गए टैग को कोई भी बदल नहीं सकता। ऐसे में दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने परिवाद को स्वीकार करते हुए बीमा राशि भुगतान करने का आदेश दिया। आयोग ने बीमा कम्पनी को 45 दिन के भीतर 6 प्रतिशत ब्याज के साथ राशि लौटाने का आदेश दिया, साथ ही अलग-अलग मद में 4 हजार रुपए देने का भी आदेश दिया।

ग्वालियर से कर्ण मिश्रा की रिपोर्ट 

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Edited By

Arpit Pandey

First published on: Jul 12, 2023 07:12 PM

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