Himachal Pradesh Political Crisis : हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट अभी टला नहीं है। शिमला में शुक्रवार देर शाम उस समय राजनीतिक हलचल बढ़ गई, जब एकाएक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कैबिनेट की बैठक स्थगित कर दी और सभी मंत्रियों के साथ विधानसभा पहुंच गए। सभी ने स्पीकर से मुलाकात की। उनके इस मूवमेंट ने एकाएक सियासी गलियारों में गहमागहमी बढ़ा दी। कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या सुक्खू सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है।
हिमाचल प्रदेश में चर्चा चल रही थी कि कांग्रेस के निष्कासित छह में तीन बागी विधायक वापसी करना चाहते हैं। विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने सभी चर्चा पर विराम लगा दिया। उन्होंने मीडिया से कहा कि अब तो वे खुद भी चाहें तो अपना फैसला वापस नहीं ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिन विधायकों की सदस्यता रद्द की गई है, वे आगे कानून का सहारा ले सकते हैं, लेकिन बतौर विधानसभा अध्यक्ष उनका यह फैसला कानूनी दायरे में नहीं आता है।
यह भी पढे़ं : हिमाचल में फिर बगावत की आहट!, विक्रमादित्य के बागी विधायकों से मिलने पर क्या बोले CM सुक्खू?
दल बदल विरोधी कानून के तहत हुआ फैसला
विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि दल बदल विरोधी कानून के तहत बागी विधायकों के खिलाफ फैसला लिया गया। रिव्यू का कोई चांस नहीं है। बागी विधायकों की सदन के अंदर की हाजिरी ही उनके खिलाफ सबूत है। पार्टी की तरह से व्हिप जारी होने के बाद भी ये विधायक सदन में बजट पारित करते वक्त अनुपस्थित रहे।
यह भी पढे़ं : दो दिन के बाद हिमाचल प्रदेश में सियासी संकट टला, मुख्यमंत्री के नाम पर संशय खत्म
निष्कासन पर दोबारा नहीं हो सकती है सुनवाई : स्पीकर
उन्होंने कहा कि अब चाहकर भी उनकी सदस्यता रद्द होने के मामले में दोबारा रिव्यू या सुनवाई नहीं हो सकती है। स्पीकर ने सीएम सुक्खू और मंत्रियों से मुलाकात पर कहा कि यह सिर्फ शिष्टाचार भेंट थी। हालांकि, सीएम सुक्खू और मंत्रियों से मुलाकात के बाद कुलदीप सिंह पठानिया ने मीडिया से बातचीत की।