पैसे देकर कराई गई हिंसा
पुलिस की गिरफ्त में आए इन रोहिंग्याओं ने पूछताछ में बताया है कि 31 जुलाई को हुई हिंसा में शामिल होने के लिए उन्हें रुपये भी दिए गए थे। इसके साथ कई अन्य प्रलोभन भी दिए गए थे। यही वजह है कि आर्थिक संकट से जूझ रहे रोहिंग्या इसमें शामिल हुए और जमकर हिंसा की, हालांकि इनमें से ज्यादातर आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। इस हिंसा से जान और माल का नुकसान हुआ था। इसके साथ ही नूंह के बाद यह हिंसा गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और रेवाड़ी में भी फैल गई थी।
2 दर्जन से अधिक रोहिंग्याओं की तलाश में छापेमारी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, नूंह की हिंसा में केवल यही 4 रोहिंग्या ही शामिल नहीं हुए थे, बल्कि अब पुलिस को 2 दर्जन से ज्यादा रोहिंग्याओं की भी तलाश है। इनके भी इस हिंसा में शामिल होने की बात सामने आ रही है। गौरतलब है कि मेवात इलाके में करीब 400 परिवारों के 2 हजार रोहिंग्या रहते हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से कई ऐसे हैं जो फरवरी, 2020 में उत्तरी पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के बाद यहां आकर बस गए थे। ऐसे में जांच का दायरा और बढ़ सकता है।
खेड़का चौक पर हुआ था हमला
यहां पर बता दें कि 31 जुलाई को धार्मिक यात्रा में शामिल हिंदू संगठनों के लोगों पर खेड़का चौक पर हमला हुआ था। इसी हिंसा में हमले में ये चारों रोहिंग्या शामिल पाए गए हैं।
नूंह हिंसा में रोहिंग्याओं के शामिल होने की बात सामने आने पर हरियाणा सरकार के गृह विभाग के भी कान खड़े हो गए हैं। उस बीच पुलिस ने तय किया है कि करीब दो हजार रोहिंग्या के आधार कार्ड तथा अन्य दस्तावेज की जांच की जाएगी। इसकी तैयारी भी पूरी कर ली गई है। सैफुला और महबूब की गिरफ्तारी ने अब तक सोये रहने वाले प्रशासन की नींद खोल दी है। हिंसा में गिरफ्तार सैफुला और महबूब ने पूछताछ में माना कि वह म्यांमार से असम आया और यहां पर आधार कार्ड तथा अन्य दस्तावेज बनवाए हैं।