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हरियाणा में BJP की जीत में RSS का अहम रोल, सत्ता विरोधी माहौल को विजयी लहर में बदला

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में तीसरी बार बहुमत हासिल करके बीजेपी ने सभी को चौंका दिया है। हालांकि इस जीत का श्रेय आरएसएस को भी दिया जाना चाहिए। संघ ने जमीन पर काम करके सत्ता के खिलाफ लोगों की नाराजगी को दूर किया और बीजेपी को जीत दिलाने में मदद की।

Edited By : Nandlal Sharma | Updated: Oct 9, 2024 08:01
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RSS Chief Mohan Bhagwat Superman Statement
संघ प्रमुख मोहन भागवत और पीएम नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सफलता का क्रेडिट राष्ट्रीय स्वयंसेवक को भी जाता है। ये संघ की ही मेहनत थी कि जमीन पर तमाम नाराजगी के बावजूद 10 साल की सत्ता विरोधी लहर को मात देते हुए पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। हरियाणा में बीजेपी ने 90 में से 48 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली। इनेलो के हिस्से में 2 सीटें आई हैं, जबकि जेजेपी का खाता नहीं खुला नहीं है। अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों के हिस्से में 3 सीट आई हैं।

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बीजेपी की इस सफलता में आरएसएस की भूमिका को ऐसे समझिए कि संगठन ने कांग्रेस के कार्यकाल के समय हुए भ्रष्टाचार के मुद्दों पर फोकस किया। इन्हीं विषयों पर बिना तामझाम के संघ के कार्यकर्ताओं ने लोगों तक पहुंचे और कैंपेन को अंजाम दिया। कांग्रेस की पिछली सरकारों के दौरान खर्ची और पर्ची को संघ ने मुद्दा दिया। जैसा कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आरएसएस ने इसी फॉर्मूले पर कैंपेन करते हुए बीजेपी को सत्ता में लौटने में मदद की थी। हरियाणा में बीजेपी के खिलाफ जैसा माहौल था, वैसा किसी अन्य राज्य में देखने को नहीं मिला था, इसलिए संघ के योगदान की वैल्यू बढ़ जाती है।

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आरएसएस के पदाधिकारियों ने माना कि किसान आंदोलन के चलते सरकार के खिलाफ आक्रोश था, महिला पहलवानों द्वारा लगाए आरोपों के चलते भी लोगों में नाराजगी थी, इसी तरह जाट आरक्षण और अग्निवीर स्कीम को लेकर युवाओं में क्षोभ था। इसके साथ ही हरियाणा में बेरोजगारी जैसे मुद्दों के चलते आम लोग सरकार से नाखुश थे। संघ ने इन सब मुद्दों की पहचान की और बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से अनुशासित कैंपेन चलाया गया। संघ की कोशिश रही कि कोई विवाद न हो और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जाए। संघ की इस मेहनत का नतीजा 8 अक्टूबर को चुनावी परिणामों में दिखा है।

हरियाणा चुनाव को कवर करने वाले पत्रकारों और सर्वे एजेंसियों के तमाम दावे फेल हो गए हैं। छोटी-छोटी पार्टियों का खेल खत्म हो गया है। इनेलो को छोड़ दें तो दूसरी कोई पार्टी नजर नहीं आती। दुष्यंत चौटाला इस चुनाव में बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। 2019 के चुनाव में 10 सीटें जीतने वाले दुष्यंत चौटाला का इस चुनाव में खाता नहीं खुला है। लोकसभा चुनाव में बहुमत के आंकड़े से चूकी बीजेपी के लिए हरियाणा की यह जीत पावर बूस्टर के तौर पर काम करेगी।

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Edited By

Nandlal Sharma

First published on: Oct 09, 2024 07:20 AM

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