Haryana Assembly Election Result: चुनाव में हार के बाद प्रत्याशी वोटरों के लिए समाजसेवा के नाम पर शुरू की गई मुहिम से किनारा करने लगे हैं। महम के पूर्व विधायक बलराज कुंडू ने कुछ ही घंटे पहले समर्थकों की बैठक बुलाई थी। जिसमें बेटियों को कॉलेज लाने-ले जाने के लिए शुरू की गईं फ्री 18 बसों को बंद करने का ऐलान किया गया था। बलराज ने कहा था कि अब नए विधायक से लोगों को ऐसी बसें चलाने की डिमांड करनी चाहिए। अब कुरुक्षेत्र जिले में लाडवा सीट से लड़ने वाले संदीप गर्ग ने इससे मिलता-जुलता फैसला लिया है। संदीप गर्ग ने समाजसेवा के नाम पर लोगों के लिए रसोई शुरू की थी। जहां सिर्फ 5 रुपये में भरपेट खाना खिलाया जा रहा था। लेकिन हार के बाद इस सेवा को बंद कर दिया गया है।
हरियाणा में चली थी चर्चा
इस सेवा का लाभ अब लोगों को नहीं मिलेगा। लाडवा हॉट सीट थी। इस सीट से सीएम नायब सिंह सैनी बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते हैं। संदीप गर्ग ने यहां से निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया था। जिसके बाद वे चर्चा में आ गए थे। उनकी रसोई शुरू करने की चर्चा हरियाणा में थी। लेकिन अब इस सेवा को बंद कर फिर से प्रदेश में चर्चा में आ गए हैं।
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लोगों को कहना है कि यह कदम समाजसेवा नहीं, स्वार्थ के चलते उठाया गया था। चुनाव में उनको महज 2262 वोट मिले हैं। जिसके चलते रसोई को बंद किया गया है। गर्ग ने इस रसोई को अप्रैल 2022 में शुरू किया था। लाडवा के पुराने डाकखाने के पास इसका उद्घाटन एक महिला से करवाया गया था। यहां रोजाना दोपहर 12 से लेकर 2 बजे तक सिर्फ 5 रुपये में भरपेट खाना मिलता था। इसी तरह की रसोई लाडवा सीट के गांव डीग, उमरी, मथाना के अलावा रादौर और शाहाबाद में भी खोली गई थी। चुनाव परिणाम के अगले दिन तक भी ये रसोई खुली रहीं। लेकिन अब इनको बंद कर दिया गया है। लाडवा की रसोई की बात करें तो यहां रोजाना सैकड़ों लोग खाना खा रहे थे।
भाजपा नेता भी आए थे उद्घाटन के दौरान
रसोई के शुभारंभ के दौरान दावे किए गए थे कि यह जारी रहेगी। यहां रोटी बनाने के लिए ऑटोमेटिक मशीन भी लगेगी। यही नहीं, उद्घाटन के समय यहां पूर्व विधायक रमेश गुप्ता और भाजपा महामंत्री डॉ. पवन सैनी भी आए थे। जिन्होंने संदीप गर्ग की सराहना की थी। 2018 में संदीप गर्ग ने लाडवा में किरण चौधरी की रैली करवाई थी। 2019 में उनको टिकट नहीं मिला। लोकसभा चुनाव से पहले गर्ग ने पूर्व सीएम मनोहर लाल की अगुआई में बीजेपी में एंट्री की थी। वे यहां से टिकट मांग रहे थे। लेकिन सैनी के खुद यहां से चुनाव लड़ने के बाद उन्होंने बीजेपी छोड़ दी और निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर दिया था। चुनाव में उनकी करारी हार हुई।
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