Reasons Behind BJP Victory in Haryana: हरियाणा विधानसभा चुनाव की मतगणना के ताजा रुझानों में BJP सरकार की जीत की हैट्रिक लगना तय माना जा रहा है। दो दिन पहले तमाम एग्जिट पोल हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत मिलता दिखा रहे थे, मतगणना के शुरुआती रुझानों में एग्जिट पोल सही साबित होते दिखे। एक बार तो BJP 20-22 सीटों पर निपटती नजर आई। स्पष्ट बहुमत मिलता देख कांग्रेसियों ने जश्न मनाना भी शुरू कर दिया। खुशी ज्यादा देर तक चेहरे पर न टिकी। वक्त की सुईयों के साथ हरियाणा में सामने आ रहे रुझानों में कांग्रेस की सीटें घटतीं और BJP की सीटें बढ़ती चली गईं। दोपहर दो बजे तक हरियाणा में BJP 50 सीटों से आगे और कांग्रेस केवल 35 पर सिमटती नजर आई। जानें वो कौन से कारण रहे कि भाजपा को एग्जिट पोल के आंकड़े निराश नहीं कर पाए और वह हरियाणा में हैट्रिक लगाने में कामयाब हो गई।
#WATCH | Delhi | BJP leaders celebrate and hail PM Modi on the party’s performance in the Haryana Assembly elections pic.twitter.com/Q4U4dQO6hP
— ANI (@ANI) October 8, 2024
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खर्ची-पर्ची का मुद्दा
हरियाणा में कांग्रेस ने बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दे पर खूब बवाल किया। इस बवाल के जवाब में भाजपा ने खर्ची-पर्ची का दांव खेला, जो कांग्रेस को महंगा पड़ा और वह उभर नहीं पाई। भाजपा के सभी दिग्गज नेताओं ने इस मुद्दे को भुनाने को कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा ने आरोप लगाया कि हरियाणा में 10 साल कांग्रेस की हुड्डा सरकार रही। हुड्डा राज में बेरोजगारों को नौकरी खर्ची और पर्ची के दम पर मिलती थी, लेकिन भाजपा की सरकार आते ही खर्ची-पर्ची बंद हो गई। इस मोर्चे पर कांग्रेस पिछड़ गई।
कांग्रेस में आपसी गुटबाजी
भाजपा की जीत का एक कारण कांग्रेस की आपसी गुटबाजी का कहा जा सकता है। हरियाणा में कांग्रेस में काफी समय से गुटबाजी चल रही है। एक ओर भूपेंद्र हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा का गुट था और दूसरी ओर कुमारी सैलजा का गुट था। दोनों ही गुट मुख्यमंत्री पद के दावेदारी ठोक रहे थे। इस गुटबाजी में रणदीप सिंह सुरजेवाला भी कूद गए और उन्होंने भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी ठोक दी। इस आपसी खींचतान ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया।
#WATCH | On BJP leading in #HaryanaElections, BJP leader Brij Bhushan Sharan Singh says, “… Many BJP candidates have won on ‘jaat’ majority seats… The so-called wrestlers in the wrestler’s agitation are not heroes of Haryana. They are villains for all the junior wrestlers… pic.twitter.com/xCCh1tGSoQ
— ANI (@ANI) October 8, 2024
किसानों की नाराजगी दूर की
भाजपा का जीत का एक कारण किसानों की नाराजगी दूर करना रहा। दरअसल, भाजपा पर किसान आंदोलन को दबाने की कोशिश करने के आरोप लगे थे। चुनाव से ठीक पहले इस मुद्दे पर दांव खेला और नायब सिंह सैनी की सरकार ने 24 फसलों पर MSP लागू करने का ऐलान कर दिया। यह ऐलान करने वाला देश का पहला राज्य हरियाणा बन गया।
अग्निवीर की ‘अग्नि’ काम आई
कांग्रेस ने भाजपा को अग्निवीर स्कीम को लेकर घेरा। इस दांव पर पलटवार करते हुए भाजपा ने घोषणा की कि जब 4 साल बाद अग्निवीर सैनिक रिटायर होंगे तो वे बेरोजगार नहीं रहेंगे। उन्हें अच्छी नौकरी दी जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह ने अग्निवीर सैनिकों को रिटायरमेंट के बाद नौकरी की गारंटी दे डाली। कांग्रेस के पास भाजपा की इस गारंटी का कोई तोड़ नहीं था और भाजपा को इसका फायदा हो गया।
‘वोटकाटू’ दलों का असर पड़ा
हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था, लेकिन इनेलो, हलोपा, AAP, JJP और निर्दलीय उम्मीदवारों ने वोट काट दिए। लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले भाजपा ने जजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। दोनों दलों ने अलग अलग चुनाव लड़ा, जिसका असर विधानसभा चुनाव पर भी देखा गया। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने इन पार्टियों को भाजपा की बी-टीम बताया, लेकिन यह कितना सही साबित होगा, वह तो फाइनल रिजल्ट आने के बाद पता चलेगा। भाजपा की जीत का यह एक बड़ा कारण है।
प्रधानमंत्री मोदी का जादू भी चला
भाजपा की जीत का एक कारण प्रधानमंत्री मोदी का जादू हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खूब प्रचार किया। प्रधानमंत्री मोदी ने पलवल, हिसार और गोहाना में रैलियां करके वोट बैंक अपने पक्ष में किया। इसका असर चुनाव परिणाम पर पड़ा।