---विज्ञापन---

HOT सीट तोशाम… भाई-बहन के बीच कांटे का मुकाबला, जाट वोट बंटे तो किसे होगा फायदा?

Haryana Assembly Election 2024: तोशाम की सीट इस बार हॉट बनी हुई है। यहां की दिग्गज नेता किरण चौधरी अब कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जा चुकी है। उनकी बेटी श्रुति चौधरी को यहां से टिकट मिला है। वहीं, कांग्रेस ने उनके चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी को मैदान में उतारा है।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Sep 25, 2024 14:57
Share :
Haryana Assembly Election 2024
श्रुति चौधरी, अनिरुद्ध चौधरी

Haryana Assembly Election: हरियाणा के भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला भाई-बहन के बीच है। बंसीलाल परिवार को भाजपा और कांग्रेस दोनों ने टिकट दिया है। भाजपा के टिकट पर किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस ने उनके चचेरे भाई और रणवीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को टिकट दिया है। किरण लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई थीं। जिनको बीजेपी ने राज्यसभा सांसद बनाया है। यहां से आम आदमी पार्टी (AAP) ने दलजीत सिंह, INLD-BSP ने ओम सिंह, JJP-ASP ने राजेश भारद्वाज को मैदान में उतारा है।

वहीं, टिकट कटने से नाराज भाजपा के बागी शशिरंजन परमार निर्दलीय टक्कर दे रहे हैं। तोशाम सीट हमेशा बंसीलाल परिवार का गढ़ रही है। इस सीट पर 2.20 लाख वोटर हैं। अभी तक इस सीट पर 15 चुनाव हो चुके हैं। जिनमें 11 बार बंसीलाल परिवार जीता है।

---विज्ञापन---

तोशाम से कभी नहीं जीती भाजपा

श्रुति चौधरी को बंसीलाल की विरासत का सहारा है। वहीं, अनिरुद्ध कांग्रेस वेव के सहारे जीत की उम्मीद लगाए बैठे हैं। जाट वोट इस बार बंटे तो बीजेपी को नुकसान तय है। बागी परमार भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। अनिरुद्ध भी अपने दादा बंसीलाल का नाम लेकर वोट मांग रहे हैं। तोशाम से कभी भाजपा नहीं जीत पाई है। बंसीलाल का परिवार हरियाणा विकास पार्टी और कांग्रेस के टिकट पर अधिकतर बार लड़ा है। एंटी इनकंबेंसी और कांग्रेस वेव का नुकसान श्रुति को हो सकता है। अगर बंसीलाल के कोर वोटर नहीं छिटके तो अनिरुद्ध की राह आसान नहीं होगी।

यह भी पढ़ें:HOT सीट अंबाला कैंट… खुद को CM फेस बताने वाले अनिल विज की राह आसान नहीं, गुटबाजी से किसे फायदा?

---विज्ञापन---

यूथ होने का फायदा अनिरुद्ध को मिल सकता है। वहीं, इस सीट पर जाट वोटर 70 हजार हैं। भिवानी के जाट अधिकतर बंसीलाल के साथ रहे हैं। अगर जाट वोट बंटे तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस को होगा। वहीं, भाजपा के बागी शशि रंजन परमार राजपूत समाज से आते हैं। इस सीट पर राजपूतों के 15 हजार वोट हैं। पिछला चुनाव वे भाजपा के टिकट पर लड़े थे। किरण चौधरी के बाद दूसरे नंबर पर सबसे अधिक वोट हासिल किए। इसलिए परमार की भाजपा से खिलाफत का फायदा कांग्रेस को मिलना तय है।

2009 में सांसद बन चुकी हैं श्रुति

जेजेपी-एएसपी ने यहां से ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेला है। राजेश भारद्वाज पत्थरवाली गांव के सरपंच भी हैं। पिछले चुनाव में ब्राह्मण वोट भाजपा को मिले थे। जेजेपी को उम्मीद है कि इस बार 30 हजार ब्राह्मणों के वोटों में सेंध लगेगी। श्रुति चौधरी बंसीलाल की पोती हैं। पिता सुरेंद्र सिंह और मां किरण भी हरियाणा के मंत्री रह चुके हैं। 2009 में श्रुति भिवानी-महेंद्रगढ़ की सांसद बनी थीं। लेकिन इसके बाद 2 बार लोकसभा चुनाव हार चुकी हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनका टिकट काटकर राव दान सिंह को दे दिया था। जिसके बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विरोध करते हुए मां-बेटी बीजेपी में चली गईं। किरण चौधरी को बीजेपी ने कुछ दिन पहले ही राज्यसभा भेजा है। श्रुति सीधे तौर पर अब हुड्डा को घेरते हुए वोट मांग रही हैं। वे कह रही हैं कि भिवानी-महेंद्रगढ़ के साथ भेदभाव हुआ है।

मुंढाल से जीत चुके हैं रणवीर महेंद्रा

कांग्रेस ने काफी सोच-समझकर बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध पर दांव लगाया है। रणबीर महेंद्रा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के चेयरमैन रह चुके हैं। वहीं, अनिरुद्ध चौधरी BCCI के कोषाध्यक्ष रहे हैं। रणबीर महेंद्रा 2005 में कांग्रेस के टिकट पर मुंढाल सीट से जीत चुके हैं। 2019 में उन्होंने चरखी दादरी की बाढड़ा सीट पर भी इलेक्शन लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। पिछले तीन चुनाव में तोशाम से किरण चौधरी की जीत होती रही है। 2000 में मुंढाल सीट से इनेलो के टिकट पर शशिरंजन परमार जीते थे। 2019 में तोशाम से किरण को परमार ने तगड़ी टक्कर दी थी। उनको 54 हजार वोट मिले थे। इस बार टिकट कटा तो उन्होंने आजाद उम्मीदवार के तौर पर उतरने का ऐलान किया।

1998 में आमने-सामने हो चुका परिवार

इससे पहले 1998 में हविपा के टिकट पर सुरेंद्र भिवानी से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। कांग्रेस ने तब उनके भाई रणवीर महेंद्रा को सामने उतारा था। तब भी बंसीलाल के परिवार में मतभेद सामने आए थे। बंसीलाल परिवार से दो कैंडिडेट देख देवीलाल परिवार ने इनेलो के टिकट पर अजय चौटाला को उतार दिया था। लेकिन ये चुनाव सुरेंद्र जीते थे। अजय दूसरे और रणवीर महेंद्रा तीसरे नंबर पर रहे थे। इसके बाद अगले साल 1999 में हुए चुनाव में अजय ने जीत हासिल की थी। सुरेंद्र को हार का सामना करना पड़ा था। इस बार बंसीलाल परिवार के किस सदस्य की जीत होगी? यह देखने वाली बात होगी।

यह भी पढ़ें:HOT सीट महम… बलराज कुंडू बने दीपक हुड्डा और बलराम दांगी के लिए बड़ी चुनौती; जानें जाट बहुल सीट का हाल

HISTORY

Written By

Parmod chaudhary

First published on: Sep 25, 2024 02:57 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें