नई दिल्ली/जींद: हरियाणा के राजभवन में बैठी भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सेना में बगावत के संकेत दिखाई देने लगे हैं। तीन बार के प्रदेश के और साथ ही केंद्र में भी मंत्री रह चुके बीरेंद्र सिंह ने मंगलवार को अपनी आवाज सुनाई। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा के लिए सत्ता का ताला जननायक जनता पार्टी (JJP) की चाबी से ही खुलता रहा तो मैं इस सेना का हिस्सा नहीं रहने वाला। इस ऐलान के बाद सूबे की राजनीति में खलबली मच गई है। हालांकि यह तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा कि इस खलबली का अंत होगा तो होगा किस तरह।
मंत्री बीरेंद्र सिंह ने जींद में की ‘मेरी आवाज सुनो’ रैली
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के उपनाम पर बनी हरियाणा की सत्ता में भागीदार राजनैतिक पार्टी जननायक जनता पार्टी का निशान चाबी है। देवीलाल के परपोते दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली इस पार्टी का साथ लिए जाने से पिछले कुछ बरसों से भारतीय जनता पार्टी में बगावत की चिंगारी रह-रहकर हवा पाती रहती है। नाराज धड़े में सबसे बड़ा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह का है।
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जहां तक इस नाराजगी की वजह की वजह की बात है, प्रदेश के मौजूदा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला 2014 के विधानसभा चुनाव में में बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता से हार गए थे। 2019 में हार को जीत में बदलकर दुष्यंत विधानसभा में मनोहर के मन को हरने वाले बने हुए हैं। अब जबकि 2024 के विधानसभा चुनाव के लिए दुष्यंत का फिर से जींद के उचाना से ही चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है, दूसरी ओर इसी सीट से बीरेंद्र सिंह का परिवार भी टिकट चाहता है। इसी के चलते पुरानी नाराजगी सिर चढ़कर बोल रही है।
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मंगलवार को बीरेंद्र सिंह ने अपने गृह जिले जींद के मुख्यालय में ‘मेरी आवाज सुनो’ शीर्षक से रैली की। इस रैली के मंच से पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा की सत्ता में जननायक जनता पार्टी (JJP) की भागीदारी पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा ने जजपा का साथ नहीं छोड़ा तो वह (पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह) खुद पार्टी का साथ छोड़ देंगे। हालांकि बीरेंद्र सिंह के इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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2014 में चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस का हाथ छोड़ अपने हाथ में थामा था ‘कमल’
दरअसल, बीरेंद्र सिंह टकसाली कॉन्ग्रेसी थे। उचाना कलां सीट इनके परिवार का गढ़ मानी जाती रही है। 2014 में चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कॉन्ग्रेस का हाथ छोड़कर अपने हाथ में भाजपा का कमल थाम लिया। भाजपा में हरियाणा के प्रमुख जाट चेहरे की हैसियत रखते बीरेंद्र सिंह का परिवार और सत्ता में भागीदार JJP प्रमुख अजय सिंह चौटाला का परिवार राजनैतिक रूप से कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं। इसी नाराजगी का एक रूप जींद की रैली में देखने को मिला। भारतीय जनता पार्टी की आलोचना का कोई कारण नहीं होने के बावजूद बीरेंद्र सिंह ने कहा, ‘…लेकिन मैं हमेशा अपने मन की बात कहता हूं और यही मेरा स्वभाव है। JJP के एक बड़े भ्रष्टाचारी नेता ने लोगों को इतना बड़ा धोखा दिया है, जितना हरियाणा के किसी अन्य राजनेता ने नहीं दिया’।