गुजरात के सूरत से विश्व वन दिवस पर राज्य के पहले इको-विलेज गांव की तस्वीर सामने आई है। यह गांव सूरत जिले के मांडवी तालुका में है। इस गांव का नाम के धज है, यह गुजरात का पहला इको-विलेज है। सूरत वन विभाग की मांडवी उत्तर रेंज के सुदूर वन क्षेत्र में स्थित यह गांव पर्यावरण और प्रगति के बीच संतुलन बनाए रखने का उदाहरण पेश किया है। अब इससे देश के बाकी गांवों को प्रेरित किया जाएगा। इसी तरह से सूरत के ओलपाड तालुका के नाघोई गांव को आने वाले समय में इको-विलेज के रूप में विकसित करने की तैयारी चल रही है।
ગુજરાતનું પ્રથમ ઇકો વિલેજ…
---विज्ञापन---વન વિભાગની માંડવી ઉત્તર રેન્જમાં અંતરિયાળ જંગલ વિસ્તારમાં આવેલું સંપૂર્ણ વન વસાહતી ધજ ગામ પર્યાવરણ અને પ્રગતિનો તાલમેલ જાળવીને દેશના અન્ય ગામડાઓને પ્રેરણા પૂરું પાડી રહ્યું છે…#EcoVillage #Dhaj #Gujarat pic.twitter.com/WNrXaQ7V62
— Gujarat Information (@InfoGujarat) February 16, 2025
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सूरत से 70 किमी दूर है ये इको-विलेज
साल 2016 में धज गांव को इको विलेज घोषित किया गया था। धज गांव सूरत से 70 किमी दूर स्थित है। घने जंगल के बीच बसा यह गांव कभी बुनियादी सुविधाओं से वंचित था। गांव में परिवहन के लिए न तो पक्की सड़कें थीं और न ही बिजली की सुविधा थी। गांव के लोग रोजगार के लिए वनोपज पर निर्भर थे। पर्यावरण सुधार और प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में काम करने के लिए गुजरात पारिस्थितिकी आयोग ने धज गांव को इको-विलेज घोषित किया है। साथ ही यहां बुनियादी सुविधाएं पहुंचाई गई हैं। लगातार कोशिश के बाद पर्यावरण संरक्षण ने धज गांव में पारिस्थितिक क्रांति ला दी है।
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इसे भी बनाएंगे इको-विलेज
इस गांव को उप वन संरक्षक आनंद कुमार ने बताया कि साल 2016 में धज गांव को इको-विलेज घोषित किए जाने के बाद पर्यावरण संरक्षण के लिए बायोगैस, भूजल, वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा चालित स्ट्रीट लाइट सहित कई सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। गांव के किसानों को प्राकृतिक कृषि के प्रति जागरूक करने के लिए सघन प्रयास किए गए हैं। वर्तमान में, जीईसी (गुजरात पारिस्थितिकी आयोग) को वन विभाग में विलय कर दिया गया है। आने वाले दिनों में ओलपाड तालुका के नाघोई गांव को इको-गांव के रूप में विकसित किया जाएगा।