गुजरात में ऐसा कई बार हुआ है जब पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे हैं। अहमदाबाद से ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां गुजरात हाईकोर्ट ने पुलिस प्रशासन के रवैये पर गंभीर सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट ने चांदखेड़ा पुलिस इंस्पेक्टर को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसे पुलिस अधिकारी समाज के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।
क्या है पूरा मामला?
मामला एक मां और उसकी चार साल की बेटी से जुड़ा है। जानकारी के मुताबिक, पुलिस की मनमानी के चलते एक महिला को उसकी मासूम बच्ची से मिलने नहीं दिया गया। इस मामले में जब परिवार हाईकोर्ट पहुंचा तो अदालत ने पुलिस अधिकारी के रवैये को ‘गैर-जिम्मेदाराना और अमानवीय’ करार दिया।
हाईकोर्ट ने क्या बोला?
हाईकोर्ट ने अपने तीखे शब्दों में कहा कि कोई भी महिला अपराधी हो, फिर भी उसे अपने परिवार से मिलने का अधिकार है, खासकर अपने बच्चे से मिलने का पूरा हक है। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर क्यों ऐसी घटनाओं पर विभागीय जांच नहीं की जाती है। इतना ही नहीं, अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर चांदखेड़ा के पीआई (PI) उन आठ मामलों की जांच क्यों नहीं कर रही, जिनमें दस साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है। कोर्ट ने साफ कहा कि अगर सरकार ऐसे अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है, तो हाईकोर्ट खुद आदेश पारित करेगा।
पहले भी आए ऐसे मामले
ये पहली बार नहीं है जब गुजरात हाई कोर्ट को पुलिस प्रशासन की लापरवाहियों और गैर-जिम्मेदार रवैये के लिए फटकार लगानी पड़ी हो। ये मां-बेटी के इस संवेदनशील मामले ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या आम नागरिकों की संवेदनाएं पुलिस तंत्र में कहीं खो गई हैं?
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