गुजरात में शिक्षा को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. सरकार हर साल प्रवेशोत्सव पर करोड़ों खर्च करती है, बड़े-बड़े कार्यक्रम होते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि राज्य में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पिछले एक साल में 2 लाख 40 हजार से ज्यादा छात्रों ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी.
ड्रॉपआउट रेट में भारी बढ़ोतरी
सरकारी दावों के बावजूद गुजरात में ड्रॉपआउट रेट में भारी बढ़ोतरी देखने मिली है. आंकड़े बताते हैं कि राज्य का ड्रॉपआउट रेट 341 प्रतिशत तक बढ़ गया है. साल 2024-25 में जहां 54,451 छात्रों ने स्कूल छोड़ा था, वहीं 2025-26 में यह आंकड़ा बढ़कर 2 लाख 40 हजार के पार पहुंच गया.
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कहां जा रहे करोड़ों रुपये?
बड़ा सवाल यह है कि आखिर शिक्षा पर होने वाला करोडों का खर्च कहा जा कहां रहा है? समग्र शिक्षा योजना के तहत गुजरात में 2,199 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम खर्च की जा चुकी है. बावजूद सरकारी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं, कई जगह बेहतर कक्षाओं की कमी भी है और सुविधाओं के अभाव में बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ाई छोड़ रहे हैं.
सरकार ने लगाया बड़ा आरोप
विपक्ष का आरोप है कि प्रवेशोत्सव पर तामझाम तो बहुत होता है, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है. सबसे अहम बात ये है कि लोकसभा में खुद केंद्र सरकार ने यह जानकारी दी है कि गुजरात में 2 लाख 40 हजार बच्चे आउट ऑफ स्कूल हैं, यानी स्कूल प्रणाली से पूरी तरह बाहर हैं. राज्य के लिए ये आंकड़े बेहद गंभीर चेतावनी हैं. अब देखने वाली बात यह है कि सरकार इस बढ़ते ड्रॉपआउट संकट को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है.










