Galgota Cultivation Benefit For Gujarat Farmers: इन त्योहारों के दौरान पूजा और सजावट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गलगोटा यानी गेंदे के फूलों की खेती के कारण पंचमहल का अराद गांव काफी चर्चा में है।
दिवाली का त्योहार इस गांव के किसानों के लिए नई उम्मीदें लेकर आता है। अरड़ गांव के ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती छोड़कर अब गलगोटा की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। पूरे गुजरात सहित पड़ोसी राज्यों के फूल व्यापारी अब अरड़ गांव के किसानों से सीधे खरीदारी कर रहे हैं।
गुलाब के फूल के बाद अगर कोई फूल है, जो सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है तो वह है गलगोटा का फूल और पीले, केसरिया, लाल जैसे रंगों के अलग-अलग प्रकार के गलगोटा के फूल आंखों को अच्छे लगते हैं।
इस फूल का उपयोग ज्यादातर धार्मिक और शुभ अवसरों, मंदिरों और धार्मिक स्थानों के साथ-साथ घरों को सजाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही इसकी मालाएं बनाकर भगवान की मूर्तियों पर भी चढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा शादी हो या किसी का सम्मान, गलगोटा के फूलों का विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है।
गलगोटा ने किसानों को बनाया लखपति
साथ ही दिवाली से पहले खत्म हुए नवरात्र में भी इस गलगोटा के गाने ने धूम मचा दी थी। पंचमहल जिले के हलोल तालुका का अराद गांव पिछले कई सालों से इस गलगोटा की खेती से बहुत प्रसिद्ध हो गया है। यहां के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर गलगोटा की नकदी खेती की ओर रुख कर रहे हैं और गांव के ज्यादातर किसान लखपति बन गए हैं।
अगर आप पंचमहल जिले के हलोल तालुक के अराद गांव के आसपास के खेतों को देखेंगे तो आपको यहां खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे। यहां की करीब 700 एकड़ जमीन ऐसी नजर आती है मानो दिवाली में पीली चादर बिछी हो। क्योंकि यहां किसान केवल गलगोटा फूल की बागवानी खेती करते हैं।
यहां के कुछ किसानों ने आठ साल पहले पारंपरिक खेती से कुछ अलग करना शुरू किया और एक या दो खेतों में गलगोटा की खेती की और केवल तीन महीने में उन्होंने गलगोटा के फूल पैदा किए जिन्हें मबालख कहा जा सकता है और उन्हें आसपास के शहरों में बेचकर अच्छा पैसा कमाया। इस अनुभव से आसपास के किसानों ने प्रेरणा ली और अपने खेतों में यूज किया, जिसमें उन्होंने एक बागवानी वैज्ञानिक से सलाह ली और आज जहां भी देखो, पूरा क्षेत्र फूलों से ढका हुआ है।
इन राज्यों में बेचा जाता है मैरी गोल्ड
गलगोटा के फूल, जिन्हें अंग्रेजी में मैरी गोल्ड और हिंदी में गेंदा फूल के नाम से जाना जाता है, इस क्षेत्र में उगाए जाते हैं, अब गलगोटा के फूल महाराष्ट्र और गुजरात के भावनगर, बोटाद, वडोदरा, नडियाद जैसे शहरों में बेचे जा रहे हैं।
ज्यादातर त्योहारों का मौसम श्रावण मास से दिवाली और लाभ पंचम के बीच होता है। इस गलगोटा के फूलों को भी त्योहारी सीजन से 60 दिन पहले लगाना पड़ता है। इसलिए त्योहार शुरू होते ही गलगोटा के फूल खिलने लगते हैं। जिसमें सबसे ज्यादा फसल श्रावण मास, गणेश उत्सव, नवरात्रि, दशहरा और हिंदुओं के बड़े त्योहार दिवाली के दौरान होती है। इस दौरान इसकी मांग ज्यादा रहती है।
मक्का, बाजरा, गेहूं या धान जैसी सामान्य अनाज वाली फसलों की खेती अब किसानों के लिए महंगी हो गई है, लेकिन बारिश और अन्य अनिश्चितताओं के कारण किसान को वह वित्तीय लाभ नहीं मिल रहा है जो वह चाहता था। लेकिन अब गलगोटा की कम और सीमित समय में खेती होने से यहां के किसानों की आर्थिक आय बढ़ी है और कहा जा सकता है कि दिवाली भी बेहतर हो गई है।
तीन महीने की खेती के बाद यहां के किसान अन्य रेगुलर खेती भी कर रहे हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि मौकों पर रंग भरने वाले इन गलगोटा फूलों ने न सिर्फ सबकी दिवाली मनवाई बल्कि किसानों की दिवाली भी बेहतर कर दी।
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