Shramik Annapurna Yojana launched in Gujarat(भूपेंद्र सिंह ठाकुर): गुजरात सरकार ने एक बार फिर मजदूरों को 5 रुपए में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल की मौजूदगी में श्रमिक अन्नपूर्णा योजना की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य मजदूरों को पौष्टिक भोजन प्रदान कराना है, मजदूरों का पांच लोगों का एक परिवार सिर्फ 25 रुपये में पूरा भोजन कर सकेगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने मजदूरों को भोजन तो परोसा ही साथ ही सीएम ने अन्य मंत्री अधिकारी और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर खाना भी खाया।
શ્રમિકોના ભોજન ઉપરાંત રાજ્ય સરકારે તેમના આરોગ્યની દરકાર પણ કરી છે. શ્રમિક અન્નપૂર્ણા યોજનાના જુદા-જુદા ભોજન કેન્દ્રો પર વિવિધ સ્થાનોએ ‘ધન્વંતરિ રથ’ પણ રાખવામાં આવ્યા છે, જ્યાં શ્રમિકોને તાવ, શરદી, ખાંસી, બ્લડપ્રેશર કે ડાયાબિટીસ જેવી બિમારીઓનું ચેકિંગ તેમજ તેની દવાઓ મળે તેવી… pic.twitter.com/Z0AdlrvfG9
---विज्ञापन---— Bhupendra Patel (Modi Ka Parivar) (@Bhupendrapbjp) November 10, 2023
75 हजार से भी ज्यादा श्रमिक होंगे लाभान्वित
मुख्यमंत्री द्वारा आज ‘श्रमिक अन्नपूर्णा योजना’ के तहत कुल 17 जिलों अहमदाबाद, आणंद, बनासकांठा, भरूच, भावनगर, गांधीनगर, जामनगर, खेड़ा, मेहसाणा, मोरबी, नवसारी, पाटन, राजकोट, साबरकांठा, सूरत, वडोदरा और वलसाड में कुल 155 मजदूर चौराहों पर फूड सेंटर का उद्घाटन किया गया है। इस योजना के तहत उन निर्माण स्थलों पर भी डोर स्टेप डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जहां 50 से अधिक श्रमिक इस योजना से लाभान्वित होना चाहते हैं। तमाम नए केन्द्रों की शुरुआत के बाद करीबन 75 हजार से भी ज्यादा श्रमिक इस योजना से लाभान्वित होंगे।
2 लाख करोड़ रुपये होंगे खर्च
बता दें कि गुजरात सरकार ने फरवरी में पेश किए गए राज्य के बजट में ही इस योजना की घोषणा करते हुए कहा था गुजरात सरकार गरीब जनता की बेहतरी के लिए अगले पांच वर्षों में 2 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी।
मजदूर वोटरों को साधने में जुटी गुजरात सरकार
इस योजना की शुरुआत पहले विजय रूपाणी सरकार ने 2017 में की थी और उस वक्त उन्होंने 10 रूपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराने की योजना लागू की थी, जो कोविड महामारी के चलते बंद करनी पड़ी थी उसके बाद 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले इस अन्नपूर्णा योजना को फिर से लागू किया गया, लेकिन इस बार 10 रूपये की थाली घटकर 5 रूपये की हो गई थी। अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव से पहले गुजरात सरकार प्रदेश के मजदूरों को साधने में लग गई है ऐसे में इसे सियासी तौर पर बड़ा फैसला माना जा रहा है।