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गुजरात के किसानों को गेहूं की ये किस्म देगी लाभ, सरकार ने लगाई मुहर

Gujarat Farmers: स्ववित्तपोषित लोकभारती ग्राम विद्यापीठ द्वारा गेहूं की अलग-अलग किस्मों पर 44 सालों की रिसर्च के बाद ज्यादा उत्पादकता नहीं बल्कि गुणवत्ता वाले गेहूं की किस्म विकसित की गई है।

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Nov 7, 2024 18:24
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Gujarat Farmers: नानाभाई भट्ट द्वारा स्थापित देश का पहला ग्राम विद्यापीठ संस्था ने साल 1980 में हरित क्रांति के तहत देश को लोक-1 गेहूं का अनमोल तोहफा दिया। स्व-वित्त पोषित लोक भारती ग्राम विद्यापीठ द्वारा गेहूं की अलग-अलग किस्मों पर 44 सालों की रिसर्च के बाद ज्यादा उत्पादकता नहीं बल्कि गुणवत्ता वाली लोक-79 गेहूं की किस्म विकसित की गई है, जिस पर सरकार ने भी खुशी की मुहर लगा दी है।

गांवों के सतत विकास के लिए लोकभारती ग्राम विद्यापीठ की स्थापना की गई जिसका एक ही उद्देश्य है। गांव समृद्ध होगा तो देश समृद्ध होगा, इसी उद्देश्य के साथ यह संस्था आज 1953 से कार्यरत है। यह संस्था एक विशेष दृष्टिकोण के साथ कार्य कर रही है ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अपने ही क्षेत्र में कृषि, व्यवसाय और व्यावसायिक रोजगार मिल सके और लोग शहरों की ओर न भागें। इस संस्थान में ज्यादातर पाठ्यक्रम कृषि, बागवानी और पशुपालन पर आधारित हैं।

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विद्यार्थी समृद्ध भारत के निर्माण की ओर अग्रसर

ऐसे पाठ्यक्रम के तहत अध्ययन कर विद्यार्थी समृद्ध भारत के निर्माण की ओर अग्रसर हो रहे हैं। शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार के क्षेत्र में देश की एकमात्र आत्मनिर्भर संस्था ने ऐसे समय में जब यहां के करोड़ों लोगों को गेहूं, बाजरा जैसे खाद्यान्न की जरूरत थी, जिसे विदेशों से आयात करना पड़ता था, ने लोक-1 गेहूं का तोहफा दिया।

1980 में किसानों की आय के साथ हरित क्रांति के तहत देश में इस गेहूं का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ और आज 44 साल बाद भी लोक-1 गेहूं उत्पादन के मामले में उत्कृष्ट श्रेणी का है। यह लोक-1 गेहूं आज देश के 16 राज्यों में 35 लाख हेक्टेयर में लगाया जा रहा है।

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इस संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने समय के साथ गेहूं की कई किस्मों का क्रॉस-ब्रीडिंग और विकास किया है, जिसमें Loc-1 से लेकर Loc-86 तक की किस्मों पर अब तक शोध किया जा चुका है। यह संस्थान विदेशों में कई कृषि विश्वविद्यालयों से जुड़ा हुआ है, ताकि वहां गेहूं की किस्मों का आदान-प्रदान किया जा सके और यहां गेहूं की किस्मों पर शोध किया जा सके और अलग-अलग किस्मों का विकास किया जा सके।

गेहूं की एक किस्म विकसित करने में 11 साल तक का समय लगता है। इसलिए कृषि वैज्ञानिक धैर्यपूर्वक शोध कर गेहूं की नई किस्में विकसित कर रहे हैं। फिर 44 साल बाद इस संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की लोक-79 किस्म विकसित करने में सफलता हासिल की है।

यहां के कृषि वैज्ञानिकों ने पहले शोध किए गए Loc-45 और Loc-62 को क्रॉस-ब्रीडिंग करके Loc-79 विकसित करने में सफलता हासिल की है। लोक-79 गेहूं अधिक उत्पादकता पर नहीं बल्कि गुणवत्ता पर आधारित शोध है। 12.9% प्रोटीन, 44.4 प्रतिशत आयरन और 42.35 % जिंक से युक्त यह गेहूं जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर है, जो भविष्य में कुपोषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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Edited By

Deepti Sharma

First published on: Nov 07, 2024 06:24 PM

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