2017 Rally Case: गुजरात के मेहसाणा जिले की एक सेशन कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी और नौ अन्य को 2017 में निकाली गई एक रैली के मामले में बरी कर दिया। बता दें कि मामला पुलिस की अनुमति के बिना सार्वजनिक रैली निकालने से जुड़ा है। कोर्ट ने कांग्रेस विधायक समेत 9 लोगों को राहत देते हुए मामले में निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें सभी आरोपियों को 3 महीने की सजा सुनाई गई थी।
कोर्ट ने कहा कि पूरा मामला निराधार और बिना किसी सबूत के है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सीएम पवार ने कांग्रेस विधायक मेवाणी, आम आदमी पार्टी (आप) की नेता रेशमा पटेल और अन्य की अपील स्वीकार कर ली, जिसमें निचली अदालत ने मई 2022 में भारतीय दंड संहिता की धारा 143 के तहत उन्हें दोषी पाया था। मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें तीन महीने जेल की सजा सुनाई थी।
क्या है पूरा मामला
मामला जुलाई 2017 का है। मेहसाणा शहर से धनेरा तक ‘आजादी मार्च’ निकालने के लिए मेहसाणा ‘ए’ डिवीजन पुलिस स्टेशन में दलित अधिकार कार्यकर्ता मेवाणी और अन्य के खिलाफ एक प्राथमिकी (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज की गई थी। कहा गया था कि पुलिस की अनुमति के बिना रैली क्षेत्र के भूमिहीन किसानों के अधिकारों के समर्थन में आयोजित की गई थी।
कांग्रेस MLA जिग्नेश मेवाणी समेत 9 लोगों को कोर्ट से मिली राहत, 2017 के मेहसाणा रैली मामले में हुए बरी#JigneshMevani #Gujarat pic.twitter.com/NTYXldOpSJ
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सेशन कोर्ट ने क्या कहा?
निचली अदालत के आदेश को दरकिनार करते हुए सत्र न्यायाधीश ने कहा कि विचार-विमर्श, चर्चा, बहस और सरकार की नीतियों के खिलाफ असहमति और सरकार की कार्रवाई की आलोचना भी राष्ट्र में लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए आवश्यक है। सत्र न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र में निर्वाचित नेता लोगों पर शासन करने के लिए नहीं बल्कि उनकी सेवा करने के लिए होते हैं।
न्यायाधीश पवार ने कहा कि देश में लोकतंत्र के मूल्यों के अस्तित्व के लिए आलोचना के डर के बिना नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना प्रत्येक लोकतांत्रिक राष्ट्र के शासक का पवित्र कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि अगर लोकतंत्र में असहमति या शांतिपूर्ण विरोध को अपराध माना जाता है, तो स्वतंत्रता के अधिकार का कोई स्थान नहीं होगा।
आरोपी व्यक्तियों ने दलित समुदाय के सदस्यों की शिकायतों को हवा देने के लिए राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के बैनर तले एक रैली आयोजित करने के लिए अधिकारियों से अनुमति मांगी थी। इस आयोजन की अनुमति पहले कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा 27 जून, 2017 के एक आदेश के माध्यम से दी गई थी और बाद में 7 जुलाई को सार्वजनिक अव्यवस्था के आधार पर रद्द कर दी गई थी।
2017 में वडगाम से निर्दलीय विधायक थे मेवाणी
कोर्ट ने कहा कि रैली की अनुमति को रद्द करने के बावजूद आयोजकों ने अपनी नियोजित रैली के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया और बाद में पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 143 (गैरकानूनी विधानसभा) के तहत मामला दर्ज किया गया।
उस समय मेवाणी बनासकांठा जिले के वडगाम से निर्दलीय विधायक थे। प्रमुख दलित नेता कांग्रेस के टिकट पर दिसंबर 2022 के चुनावों में उसी विधानसभा सीट से चुने गए थे। वह गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं।