नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मुंबई में रक्षा बुलियन और क्लासिक मार्बल्स के चार ठिकानों पर छापेमारी की। ये छापेमारी पारेख एल्युमिनेक्स लिमिटेड के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में की गई थी। छापेमारी के दौरान ईडी ने गुप्त लॉकरों की तलाशी ली जिसमें से 47.76 करोड़ रुपये मूल्य के 91.5 किलोग्राम सोना और 340 किलोग्राम चांदी जब्त की गई है।
ED concluded searches on 4 premises belonging to Raksha Bullion & Classic Marbles. The searches were conducted in connection with the money laundering probe in case of Parekh Aluminex ltd. Seizure of 91.5 kg gold and 340 kg silver, valued at Rs 47.76 Cr has been made: ED https://t.co/XjlRcvnIb3 pic.twitter.com/9wuwCYWIeP
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) September 14, 2022
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि पारेख एल्युमिनेक्स लिमिटेड नाम की कंपनी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रक्षा बुलियन और क्लासिक मार्बल्स के परिसरों पर छापेमारी की गई। छापेमारी के दौरान बुलियन (सर्राफा) कंपनी के परिसर से कुछ गुप्त निजी लॉकरों की चाबियां मिलीं।
कुल 761 लॉकरों की ली गई तलाशी
ईडी की ओर से कहा गया कि निजी लॉकरों की तलाशी लेने पर यह पाया गया कि लॉकर का संचालन उचित मानदंडों का पालन किए बिना किया जा रहा था। कोई केवाईसी का पालन नहीं किया गया था और परिसर में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था और कोई अंदर और बाहर रजिस्टर नहीं था।। परिसर में 761 लॉकर थे, जिनमें से तीन रक्षा बुलियन के थे।
बयान में कहा गया कि तलाशी लेने पर दो लॉकरों में 91.5 किलोग्राम सोना (बार) और 152 किलोग्राम चांदी मिली, जिसे जब्त कर लिया गया। रक्षा सर्राफा के परिसर से अतिरिक्त 188 किलोग्राम चांदी भी जब्त की गई। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि जब्त किए गए सोने और चांदी का कुल मूल्य 47.76 करोड़ रुपये है।
मार्च 2018 में दर्ज किया गया था मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
पारेख एल्युमिनेक्स लिमिटेड के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला मार्च, 2018 का है, जहां यह आरोप लगाया गया था कि कंपनी ने बैंकों को धोखा दिया और ₹ 2,296.58 करोड़ का ऋण लिया। प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया कि यह पैसा उसके बाद विभिन्न कंपनियों के माध्यम से लेयरिंग करके निकाला गया।
एजेंसी ने कहा, “असुरक्षित ऋण और निवेश प्रदान करने के संदर्भ में पैसा विभिन्न खातों में भेजा गया था। यह ऋण लेने का उद्देश्य नहीं था और इस तरह के लेनदेन के लिए कोई समझौता नहीं था।” ईडी ने इससे पहले 2019 में इस मामले में 205 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की थी।
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