कैश कांड में फंसे दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा का मामले में पहला रिएक्शन समाने आया है। जस्टिस वर्मा ने कहा है कि घर के स्टोररूम से बरामद कैश से उनका या उनके परिवार का कोई संबंध नहीं है। स्टोररूम में न तो उन्होंने और न ही परिवार के किसी सदस्य ने कैश रखा था। वह इस बात का खंडन करते हैं कि बरामद हुआ कैश उनका है। यह विचार या सुझाव कि नकदी हमारे द्वारा ही स्टोररूम में छिपाई गई थी, पूरी तरह से बेतुका है।
यह सुझाव कि कोई व्यक्ति स्टाफ क्वार्टर के पास एक खुले और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोररूम में या आउटहाउस में नकदी स्टोर कर सकता है, अविश्वसनीय है। स्टोररूम एक ऐसा कमरा है, जो मेरे रिहायशी क्षेत्र से पूरी तरह से अलग है। एक बाउंड्री वॉल मेरे रिहायशी एरिया से उस आउटहाउस को अलग करती है। वह चाहते हैं कि मीडिया ने उन पर जो आरोप लगाए और प्रेस ने जो बदनाम करने की कोशिश की, उसकी पहले कुछ जांच की होती।
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स्टोररूम में मिले थे बोरियों में भरे नोट
बता दें कि यशवंत वर्मा के घर में कुछ दिन पहले आग लग गई थी। इस दौरान दिल्ली पुलिस को आग बुझने के बाद स्टोररूम के अंदर जो चीजें मिलीं, वह चौंकाने वाली थी। दरअसल पुलिस को 4-5 बोरियों में भरे नोट मिले थे, जो आधे जल चुके थे। पुलिस ने बरामद कैश के बारे में पूछा तो जस्टिस वर्मा ने मामले से अनभिज्ञता जताई। बरामद कैश से कोई संबंध होने से इनकार किया।
केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और मामले में एक्शन लेते हुए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व में कॉलेजियम की बैठक हुई, जिसमें शामिल जजों ने यशवंत वर्मा का इस्तीफा मांगा, लेकिन कॉलेजियम ने मामले की जांच करने के आदेश दिए और जांच पूरी होते तक जस्टिस यशवंत वर्मा को शहर ही में रहने का आदेश दिया। उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया गया।
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