Supreme Court on cracker ban: दिल्ली में पटाखा फोड़ने पर प्रतिबंध मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने प्रतिबंध के बावजूद पटाखा चलाए जाने और उससे हुए प्रदूषण पर नाराजगी जताई। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि पॉल्यूशन फ्री वातावरण में रहने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
कोर्ट ने आगे कहा कि प्रथम दृष्टया, हमारा मानना है कि कोई भी धर्म ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता है जो प्रदूषण को बढ़ावा देती हो या लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता करती हो। अदालत ने दिल्ली पुलिस को पटाखों पर लगाए प्रतिबंध को लागू करने के लिए एक स्पेशल सेल या अलग टीम बनाने को निर्देश दिया है। बता दें 14 अक्टूबर को दिल्ली सरकार ने दिल्ली में पटाखा चलाने, स्टोर करने या बेचने पर प्रतिबंध लगाया था।
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क्या पटाखों पर स्थायी प्रतिबंध लगाया जा सकता है?
दिल्ली में प्रतिबंध के बावजूद पटाखे जलाए गए, जिससे दिवाली के अगले दिन यहां प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा क्या पटाखों पर स्थायी प्रतिबंध लगाया जा सकता है? अदालत ने इस मामले में दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
“We are of the view that no religion promotes any activity that promotes pollution or compromises with health of the people.” The #SupremeCourt remarked.#DelhiPollution #Diwali
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— The Federal (@TheFederal_News) November 11, 2024
पुलिस ने क्या किया हलफनामा दाखिल कर दे जानकारी
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली पुलिस इस मामले में इलाके के एसएचओ की जिम्मेदारी तय करे, जिससे नियमों का पालन करवाना सुनिश्चित हो। अदालत ने सुनवाई के दौरान इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के वकील से पूछा क्या पुलिस ने इस मामले में नियमों को लेकर सभी पटाखा निर्माताओं को नोटिस जारी किया? अदालत ने पुलिस से पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए की गई कार्रवाई का ब्योरा भी मांगा।
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