Supreme Court Remark On Yamuna: दिल्ली की नई सीएम रेखा गुप्ता बार-बार यमुना की सफाई को अपनी प्राथमिकता बता रही हैं। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद यमुना आरती में शामिल होकर उन्होंने इस बात को और पुख्ता कर दिया कि वह यमुना को लेकर काफी गंभीर हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उम्मीद जताई है कि सरकार बदलने के बाद शायद इस समस्या का समाधान हो सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी यमुना समेत दूसरी नदियों के प्रदूषण से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान की।
सुप्रीम कोर्ट ने की बड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (25 फरवरी) को कहा कि दिल्ली में सरकार बदलने से यमुना नदी से जुड़े ‘सभी विवाद सुलझ सकते हैं’। इसमें नदी को प्रदूषण से मुक्त करना और पड़ोसी राज्य हरियाणा से पानी की सही तरीके से सप्लाई सुनिश्चित करना शामिल है। इस मामले में पहली बार जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच में सुनवाई हुई। इससे पहले दूसरी बेंच इसकी सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा एमिकस क्यूरी (Amicus Curiae) के तौर पर जजों के सामने पेश हुईं। उन्हें मामले में कोर्ट की सहायता के लिए नियुक्त किया गया है। मीनाक्षी अरोड़ा ने दिल्ली और हरियाणा सरकारों के बीच विवाद के बारे में दलील पेश की।
‘अब सरकार बदल गई है..’
मीनाक्षी अरोड़ा ने जजों को बताया कि पहले दिल्ली और हरियाणा के बीच यमुना के पानी में हिस्सेदारी और गंदगी को लेकर काफी विवाद रहा है। इस पर जस्टिस बीआर गवई ने कहा, ‘अब सरकार बदल गई है। बदले हुए हालात में शायद सभी विवाद हल हो सकें। नदी की सफाई से जुड़ी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सके।’ अंत मे कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तारीख 4 मार्च तय की। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी यमुना में प्रदूषण और पानी शेयरिंग से जुड़े विवाद पर सुनवाई के दौरान की। बता दें कि यमुना नदी दिल्ली पहुंचने से पहले दो राज्यों – हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होकर बहती है। पहले केवल हरियाणा और यूपी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। लेकिन, अब आम आदमी पार्टी को हराने के बाद तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
बता दें कि 13 जनवरी 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में यमुना के पानी के जहरीले स्तर तक जा पहुंचने पर खुद संज्ञान लेते हुए यह सुनवाई शुरू की थी। कोर्ट ने ‘रिवर यमुना मॉनिटरिंग कमिटी’ से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने कहा था कि वह सिर्फ यमुना नहीं बल्कि दूसरी नदियों की स्थिति पर भी विचार करेगा। कोर्ट ने कहा था कि स्वच्छ पानी लोगों के मौलिक अधिकार का हिस्सा है।