Umar Khalid Bail News: JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद को कोर्ट से अंतरिम बेल मिल गई है। उमर खालिद को कोर्ट ने सात दिन के लिए अंतरिम जमानत प्रदान की है। उमर खालिज जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) के पूर्व छात्र हैं। उमर खालिद ने अपने मौसेरे भाई और बहन की शादी में शामिल होने के लिए 10 दिन की अंतरिम जमानत देने की मांग कोर्ट से की थी। लेकिन कोर्ट ने उमर खालिद की 28 दिसंबर से 3 जनवरी तक की अंतरिम जमानत स्वीकार की। दिसंबर की शुरुआत में भी उमर खालिद और अन्य आरोपी मीरन हैदर ने कोर्ट से बेल की डिमांड की थी। याचियों ने केस में देरी, जेल में लंबी अवधि काटने को आधार बनाया था। कोर्ट ने मामले में पुलिस से जवाब तलब किया था। लेकिन पुलिस ने जवाब के लिए कुछ समय की डिमांड की थी।
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दिल्ली में 2020 में दंगे हुए थे। जिसमें 53 लोगों की जान चली गई थी। 700 से अधिक लोगों को चोटें लगी थीं। उमर खालिद पर हिंसा के आरोप लगे थे। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उनको 13 सितंबर 2020 को अरेस्ट किया था। मामले को चार साल हो चुके हैं। खालिद ने कई बार बेल को लेकर याचिकाएं दाखिल की हैं। लेकिन उनको एक बार भी जमानत नहीं मिल सकी है।
इसी महीने की 7 तारीख की उमर खालिद को रेगुलर बेल देने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी। उमर के वकील त्रिदीप पेस ने कोर्ट में दलीलें दी थीं कि उनके खिलाफ हिंसा या पैसे जुटाने का कोई आरोप नहीं है। उमर खालिद ने महाराष्ट्र के अमरावती में एक भाषण दिया था। इस भाषण में उमर ने हिंसा को लेकर कुछ नहीं कहा था।
Delhi Court grants interim bail to Umar Khalid in Delhi riots larger conspiracy case.
Interim bail granted for 7 days for attending family marriage.
Riot Accused Umar has to surrender himself in the evening of January 03, 2025 before the concerned Jail Superintendent. pic.twitter.com/oOx7KNYDiF
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) December 18, 2024
उमर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका
उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी। लेकिन शीर्ष न्यायालय ने उनको सलाह दी थी कि वे निचली कोर्ट में अपील करें। खालिद के खिलाफ आर्म्स एक्ट, यूएपीए एक्ट के तहत गंभीर आरोप हैं। दिल्ली दंगों का एक और आरोपी शरजील इमाम भी जेल में बंद है। उसे भी अब तक जमानत नहीं मिल पाई है। उसने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। लेकिन मामला हाई कोर्ट में लंबित होने की वजह से उस पर सुनवाई नहीं हो सकी।