नई दिल्ली: देश की कई नामी-गिरामी ई-कॉमर्स कंपनियों पर आरोप है कि बगैर लाइसेंस के मरीजों को दवाओं की सप्लाई की जा रही है।इससे लोगों की जान खतरे में पड़ती है, साथ ही लाइसेंस लेकर दवाइयां बेच रहे केमिस्ट का बिजनेस भी प्रभावित हो रहा है।
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चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजेआई) को पत्र लिखा है।सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि कई कंपनियां ई-कॉमर्स के जरिए भारी डिस्काउंट पर दवाइयां बेच रही हैं, इनके पास ड्रग लाइसेंस तक नहीं है, इससे दिल्ली और देश के केमिस्ट परेशान हैं, ये नियमों का उल्लंघन है।ऑनलाइन खरीद-फरोख्त में कौन-सी दवाई असली है और कौन सी नकली? इसका पता लगा पाना आसान नहीं है।
कई मशहूर कंपनियां धड़ल्ले से ऑनलाइन दवाइयां बेच रही हैं। दवाइयां मरीजों के स्वास्थ्य और जान से जुड़ी होती हैं।एक छोटा-सा मेडिकल स्टोर चलाने के लिए भी लाइसेंस चाहिए, तो इतनी बड़ी कंपनी को बिना लाइसेंस के दवा बेचने की अनुमति क्यों और कैसे मिल रही है?
बृजेश गोयल ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 दिसंबर 2018 को आदेश जारी किया था कि बिना लाइसेंस दवाओं की ऑनलाइन बिक्री प्रतिबंधित है।इसके बावजूद कई कंपनियां दिन-रात कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रही हैं।यदि किसी दवा का स्टॉक करना हो, प्रदर्शनी लगानी हो या बेचनी हो, उसके लिए संबंधित राज्य की सरकार से लाइसेंस लेना अनिवार्य है।
देश में अवैध दवा विक्रेतों पर डीसीजेआई ही नकेल कस सकता है। आम उपभोक्ता को दवा के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। सीटीआई की मांग है कि नियमों का उल्लंघन कर दवा बेचने वालों के खिलाफ एक्शन हो।
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