AAP MP Sushil Rinku Strange Protest, नई दिल्ली: देश की राजधानी में बीते दिन एक अटपटी तरह का घटनाक्रम देखने को मिला। यहां आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील कुमार रिंकू खुद को बेड़ियों से जकड़कर संसद भव के बाहर पहुंचे। वहां उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। रिंकू ने ‘संसद को आजाद करो’, ‘लोकतंत्र को आजाद करो’ के नारे लगाए। उधर, रिंकू जब संसद भवन के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे तो वहां राहुल गांधी और कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी पहुंचे। दोनों कॉन्ग्रेसी नेताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपने तरीके से आवाज उठाने के लिए रिंकू की सराहना की।
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वेल में दिल्ली सेवा बिल की कॉपियां फाड़ने के कारण पूरे मॉनसून सत्र के लिए निलंबित पार्टी के इकलौते सांसद हैं रिंकू
मामला आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसदों संजय सिंह, सुशील कुमार रिंकू और राघव चड्ढा के निलंबन का है। इनमें से रिंकू पार्टी के इकलौते सांसद हैं, जिन्हें पूरे मॉनसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था। जहां तक वजह की बात है, सुशील रिंकू सदन में दिल्ली सेवा बिल की कॉपियां लेकर वेल में पहुंच गए थे और फिर उन कॉपियों को रिंकू ने फाड़ दिया। इस वजह से उन्हें पूरे सत्र के लिए सस्पेंड किया गया था। इसको लेकर पार्टी के नेताओं ने अपने-अपने अंदाज में रोष प्रदर्शन किया। इसी कड़ी में जालंधर के सांसद सुशील कुमार रिंकू ने बड़े ही अटपटे अंदाज में अपनी नाराजगी प्रकट की।
रिंकू एकदम शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह की वेशभूषा में संसद के बाहर पहुंचे। रिंकू ने अपने पूरे तन पर बेड़ियां बांध रखी थी। इसके उन्होंने न सिर्फ संसद भवन के बाहर चक्कर लगाया, बल्कि संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष भीम राव अंबेडकर की मूर्ति के आगे खड़े होकर जमकर मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाए। अपने आप को लोहे की जंजीरों में बांधकर वह अकेले ही प्रदर्शन कर रहे थे।
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मीडिया के सामने अपनी बात रखते हुए आप सांसद सुशील रिंकू ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश के संविधान, संसद और कानून को गुलामी की जंजीरों में कैद कर रखा है। आज देश के लोकतंत्र का चारों स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया खतरे में हैं। ये ऐसी सरकार है, जो न संविधान को मानती है और न ही देश की सुप्रीम न्याय व्यवस्था में विश्वास रखती है। मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी न मानकर और नियमों-कानूनों को ताक पर रखकर मनमर्जी से काम कर रही है। संसद में विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है और उन्हें जान-बूझकर निलंबित किया जा रहा है।