नई दिल्ली: फरवरी 1997 की सर्द रात में दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में रहने वाले किशन लाल नाम के शख्स की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। 25 साल बाद पुलिस किशन लाल के हत्या के आरोपी को दबोचने में सफलता पाई है। जब किशन लाल की हत्या हुई थी, तब उनकी पत्नी प्रेग्नेंट थी।
किशन की हत्या के बाद पुलिस मामले की जांच में जुटी। पुलिस ने पाया कि किशन लाल के पड़ोस में रहने वाला रामू इस मामले में संदिग्ध है और वारदात के बाद से वह फरार है। कुछ दिनों तक केस चलने के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने पेशे से दिहाड़ी मजदूर रामू को भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया।
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25 साल बाद किशन की पत्नी को मिली ये सूचना
किशन लाल की हत्या की फाइलें करीब 25 साल तक धूल फांकती रही। इस बीच दिल्ली पुलिस ने 2021 में इस केस को फिर से खोला। एक साल बाद दिल्ली पुलिस को आरोपी को दबोचने में सफलता मिली तो किशन लाल की पत्नी को फोन किया गया और उन्हें लखनऊ बुलाया गया।
दिल्ली पुलिस ने सुनीता को बताया कि उन्होंने 50 साल के एक व्यक्ति को पकड़ा है और शक है कि वह किशन लाल की हत्या का आरोपी रामू है। पुलिस चाहती थी कि सुनीता रामू की पहचान करे। पुलिस के बुलावे पर सुनीता अपने 24 साल के बेटे सनी के साथ लखनऊ पहुंची और रामू को पहचान लिया।
पुलिस आखिर हत्या के आरोपी तक कैसे पहुंची
पुलिस उपायुक्त (नॉर्थ) सागर सिंह कलसी ने दो दशक से अधिक पुराने हत्या के इस मामले को सुलझाने वाले चार सदस्यीय टीम की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि मामले की जांच में जुटी टीम के पास हत्या का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था, आरोपी की कोई तस्वीर नहीं थी और उसके ठिकाने का भी कोई सुराग नहीं था।
कलसी ने कहा कि टीम दिल्ली और उत्तर प्रदेश में जांच के लिए कई मौकों पर अंडरकवर रही। कलसी ने कहा कि आरोपी की तलाश में जुटी टीम दिल्ली के उत्तम नगर गई और टीम के सदस्यों ने खुद को एलआईसी एजेंट के रूप में पेश किया। टीम ने रामू के एक रिश्तेदार और फिर फर्रुखाबाद जिले के खानपुर गांव में भी एक रिश्तेदार तक पहुंची। यहां पुलिस को रामू के बेटे आकाश के बारे में पता चला। पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू की और फिर लखनऊ में रहनेवाले आकाश तक पहुंची।
रिश्तेदारों से होते हुए आरोपी के बेटे तक पहुंची पुलिस
पुलिस ने आकाश से मुलाकात की और उसके पिता रामू के ठिकाने के बारे में पूछताछ की। जानकारी मिली कि रामू ने अपना नाम बदल लिया है और अब उसने अपना नाम अशोक यादव रख लिया है। आकाश ने पुलिस टीम को बताया कि वह लंबे समय से अपने पिता से नहीं मिला है और सिर्फ इतना जानता है कि उसके पिता लखनऊ के जानकीपुरम इलाके में ई-रिक्शा चलाते हैं।
डीसीपी कलसी ने बताया कि पुलिस टीम को ये भी डर था कि अगर रामू को ये जानकारी मिली कि पुलिस उसके बारे में पूछताछ कर रही है तो वह फिर से छिप सकता है। फिर पुलिस टीम ने एक ई-रिक्शा कंपनी के एजेंटों की आड़ में जानकीपुरम क्षेत्र के ड्राइवरों से संपर्क किया। उन्होंने केंद्र सरकार के तहत नए ई-रिक्शा पर सब्सिडी प्रदान करने के बहाने उनसे बातचीत की।
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पहले हत्या से किया इनकार, पहचान के बाद कबूला जुर्म
इसी बीच एक ई-रिक्शा चालक पुलिस टीम को 14 सितंबर को अशोक यादव (रामू) के पास ले गया, जो रेलवे स्टेशन के पास रह रहा था। पुलिस की टीम ने उसे दबोचा और पूछताछ कि तो उसने पहले रामू होने या फिर दिल्ली में रहने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने किशन लाल की पत्नी सुनीता को पहचान के लिए लखनऊ बुलाया जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद रामू उर्फ अशोक यादव ने स्वीकार किया कि उसने फरवरी 1997 में एक कमेटी (लोगों के एक छोटे समूह के बीच एक चिट-फंड प्रणाली) से पैसे के लिए किशन लाल की हत्या की थी। उसने पुलिस को बताया कि चार फरवरी को हत्या के बाद अशोक यादव के नाम से आधार समेत पहचान पत्र बनवाया। डीसीपी ने बताया कि अब तिमारपुर थाने में हत्या के 25 साल पुराने मामले में आगे की कानूनी कार्यवाही की जा रही है।
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