बिहार एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने दलील दी है कि कोर्ट ने पिछले आदेश में कहा था कि आधार को दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करना है। चुनाव आयोग ये नहीं बता रहा कि रिन्यूमेरेशन फॉर्म के साथ क्या दस्तावेज लगाया गया है। हमें आशंका है कि बहुत रिन्यूमेरेशन फॉर्म खुद BLO के द्वारा भरा गया है। चुनाव आयोग कुछ मतदाताओं को नोटिस जारी कर रहा है और कह रहा है कि दस्तावेज में कमी है।
SIR पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
बिहार एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि 7.24 करोड़ लोगों में से 99.5% ने दस्तावेज जमा किए हैं। वहीं, EC के वकील ने कहा कि ज्यादातर राजनीतिक दल और वोटर, वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए नहीं बल्कि हटाने के लिए आवेदन कर रहे हैं, यह कुछ बहुत ही अजीब है। चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा कि SIR पर दावे और आपत्तियों के लिए कोई डेडलाइन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर को लेकर दावे और आपत्तियों को लेकर समयसीमा नहीं बढ़ाई है।
राजद ने की ये मांग
बिहार में वोटर लिस्ट के एसआईआर में दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाने के लिए राजद और एआईएमआईएम की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। लिस्ट में वोटर्स के नाम शामिल करने या हटाने के लिए दावे और आपत्तियां दाखिल करने की डेडलाइन 1 सितंबर है। चुनाव आयोग को डेडलाइन 2 हफ्ते बढ़ाने और हटाए गए वोटर्स के दावों को 15 सितंबर तक स्वीकार करने का निर्देश देने की मांग करते हुए राजद ने कहा कि चुनाव आयोग के डेली एसआईआर अपडेट से पता चलता है कि दावों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।