---विज्ञापन---

बिहार

क्या खेसारी लाल यादव लौटा पाएंगे RJD का छपरा में खोया हुआ रुतबा? लालू यादव की विरासत रही है सीट

बिहार चुनाव 2025: बिहार की छपरा विधानसभा सीट लालू प्रसाद यादव का गढ़ मानी जाती थी लेकिन बीजेपी-जदयू की एक सेंध ने उनसे इस सीट को ऐसे छीना कि दो दशकों तक यहां उन्हें एक भी जीत नहीं मिली. इस बार राजद ने इस सीट पर खेसारी लाल यादव को टिकट दिया है. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि क्या इस सीट पर कोई बड़ा बदलाव होगा?

Author Written By: Namrata Mohanty Author Published By : Namrata Mohanty Updated: Oct 28, 2025 15:17
bihar election 2025

बिहार चुनाव 2025: बिहार में सारण जिले की हॉट सीट छपरा, इन दिनों काफी चर्चाओं में हैं. जाहिर है इसकी वजह कोई और नहीं बल्कि खेसारी लाल यादव है. राजद से तेजस्वी ने उन्हें इस सीट पर विधानसभा का टिकट दिया है. क्या आप जानते हैं छपरा की सीट लालू यादव की प्रयोगशाला मानी जाती है. इस सीट से लालू ने पिछड़ों के सामाजिक न्याय का नारा दिया था. मगर अब उनसे यह सीट ऐसे छीनी गई कि कोशिशों के बाद भी उन्हें इस सीट पर वापिस जीत का स्वाद चखने को नहीं मिला.

छपरा से शुरू हुआ था लालू का राजनीतिक सफर

लालू प्रसाद यादव के जीवनकाल में राजनीतिक सफर की शुरुआत छपरा से ही हुई थी. उन्होंने इस सीट से ‘पिछड़ों के सामाजिक न्याय’ का नारा लगाया था. साल 1990 में जब बिहार में कांग्रेस का वर्चस्व खत्म हो गया था तब लालू यादव ने छपरा सीट से चुनाव लड़ा था. इस सीट पर उन्हें राजद की तरफ से तीन बार जीत हासिल हुई थी. इसलिए, छपरा को लालू का गढ़ माना जाने लगा था. लगातार दो दशकों तक यह सीट राजद के कब्जे में थी.

---विज्ञापन---

लालू यादव ने छपरा सीट से ही लोकसभा चुनाव जीता था. 2004 और 2009 में लालू को यहां से बहुमत के साथ जीत हासिल की थी. मगर एक समय के बाद उनके हाथों से यह सीट चली गई. लालू ने राजद से छपरा के लिए पत्नी राबड़ी देवी और बेटी रोहिणी आचार्य को भी टिकट दिया था मगर उन्हें कभी यहां से जीत नहीं मिली. अब खेसारी लाल यादव को राजद का स्टार माना जा रहा है, जो इस सीट को जीत सकता है.

2005 से पलट गया खेल

छपरा में लालू का वर्चस्व खत्म होगा, यह गौर करने की बात थी. मगर 2005 के बाद यहा समीकरण पूरी तरह से बदल गए थे. बीजेपी और जेडीयू ने गठबंधन के साथ इस सीट को लालू के हाथों से छीन लिया था. इस गठबंधन की जोड़ी ने यहां नए समीकरणों को गढ़ा जिसमें बीजेपी ने वैश्य, भूमिहार और सवर्ण वर्ग के लोगों के वोट एकत्रित किए. वहीं, नीतीश की पार्टी ने अतिपिछड़ा और महिलाओं का वोट बैंक मजबूत किया.

---विज्ञापन---

लोकसभा सीट भी नहीं मिली

इस सीट से लालू लोकसभा चुनाव भी हार गए थे. 2014 में भाजपा से राजीव प्रताप रूडी इस सीट से सांसद बने और सीएन गुप्ता विधायक बने. बीते दो दशकों में RJD ने यहां से सिर्फ एक उपचुनाव में जीत हासिल की है.

खेसारी लाल यादव के भरोसे दारोमदार

राजद ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा दांव खेला है. इस सीट पर लालू यादव की पार्टी ने भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव को टिकट दिया है. खेसारी एक चर्चित चेहरा है क्योंकि उनकी पॉपुलेरिटी बिहार और यूपी के युवाओं के बीच काफी है. खेसारी लाल यादव के गाने, डायलॉग और फिल्में भी प्रवासियों पर आधारित होती है. इसलिए, उन्हें इस सीट से एक ताकतवर उम्मीदवार माना जा रहा है. उनके कैंपेन से पहले दूध से स्नान और 5 लाख के सिक्के भी लुटाए गए थे, जिससे पता चलता है कि उनकी लोकप्रियता राजद के वोट बैंक को मजबूत कर सकती है.

छपरा का जातीय समीकरण क्या कहता है?

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो छपरा में बनिया वोटर्स की गिनती सबसे ज्यादा है. यहां करीब 90 हजार बनिये, 50,000 राजपूत, 45 हजार यादव, 39 हजार मुसलिम और 22 हजार से ज्यादा अन्य वोटर्स है. इस सीट पर अधिकांश यादव और राजपूत विधायक ही रहे हैं. इस वजह से माना जा रहा है कि खेसारी को जीत मिल सकती है.

ये भी पढ़ें-‘ये मेरी उनको बिन मांगे सलाह है, ओवैसी हैदराबाद संभालें… सीमांचल को बाहरी लीडरशिप की जरूरत नहीं, प्रशांत किशोर ने कसा तंज

First published on: Oct 28, 2025 10:57 AM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.