---विज्ञापन---

Bihar: यहां भगवान शालिग्राम का हर दिन बढ़ता है आकार, जानें 200 साल पहले कैसा था?

Bihar: (बगहा से दिलीप दुबे की रिपोर्ट) नेपाल से अयोध्या लाई गई दो शिलाएं इन दिनों चर्चा में हैं। इन शिलाओं से भगवान राम, लक्ष्मण और मां सीता की मूर्ति बनाई जाएगी। लेकिन इससे इतर बिहार के बगहा में भगवान शालिग्राम का एक ऐसा विग्रह है, जो हर दिन तिल-तिल बढ़ता है। दिन में तीन […]

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Feb 4, 2023 12:22
Share :
shaligram pathar,shaligram,shaligram shila,shaligram stone,shaligram puja vidhi,shaligram stones,shaligram stone nepal to ayodhya
यह मंदिर पश्चिमी चम्पारण के बगहा नगर क्षेत्र के बनकटवा मोहल्ले में स्थित है।

Bihar: (बगहा से दिलीप दुबे की रिपोर्ट) नेपाल से अयोध्या लाई गई दो शिलाएं इन दिनों चर्चा में हैं। इन शिलाओं से भगवान राम, लक्ष्मण और मां सीता की मूर्ति बनाई जाएगी। लेकिन इससे इतर बिहार के बगहा में भगवान शालिग्राम का एक ऐसा विग्रह है, जो हर दिन तिल-तिल बढ़ता है।

दिन में तीन बार बदल जाता है स्वरूप

200 साल पहले नेपाल के तत्कालीन राजा महाराजा जंग बहादुर शाहदेव ने बाबा विश्वंभर नाथ मंदिर के संस्थापक को उपहार स्वरूप भेंट किया था। उस समय इनका आकर बहुत छोटा था। लगभग एक सुपारी के आकार का। लेकिन लगातार बढ़ते बढ़ते आज विशाल विग्रह बन गया है। दावा है कि विग्रह भी कोई साधारण नहीं है। जो भी इनका दर्शन करता है उसको सहज विश्वास नहीं होता। बताया जाता है कि शालिग्राम भगवान का दिन में तीन बार स्वरूप बदलता है।

---विज्ञापन---

तेज गर्मी होने पर छूटता है पसीना

गर्मी के दिनों में तो यहां एक और आश्चर्य देखने को मिलता है। जब गर्मी तीव्र होती है तो भगवान को पसीना आने लगता है। जिसके लिए गाय के देसी घी का लेप लगाया जाता है।

प्रकट होते हैं कई शालिग्राम

मंदिर के पुजारी ने बताया कि प्रतिवर्ष देवोत्थानी एकादशी के दिन भगवान के विग्रह से एक अन्य शालिग्राम का प्रादुर्भाव होता है, जो आप इनके बगल में देख सकते हैं। अनेकों छोटे बड़े शालिग्राम भगवान विराज मान हैं। इतने सारे चमत्कारों को देखकर सहज ही लोग यह कहने को मजबूर हो जाते हैं कि यह पवन धरती भगवान शालिग्राम की धरती है।

---विज्ञापन---

गंडक नदी के समीप है मंदिर

यह मंदिर पश्चिमी चम्पारण के बगहा नगर क्षेत्र के बनकटवा मोहल्ले में स्थित है। इस मंदिर से महज एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर सदियों से नारायणी नदी बहती है, जिसे गंडकनदी भी कहा जाता है। विष्णु पुराण में भी इस नदी का जिक्र है। इसके अनुसार जब भगवान विष्णु धरती पर पधारते हैं तो इसी नदी में उनका निवास होता है। दावा है कि आज भी नारायणी के त्रिवेणी संगम भारत नेपाल सीमा के वाल्मीकिनगर में शालिग्राम भगवान की प्राप्ति होती है, जो धरती पर साक्षात नारायण के अवतार माने जाते हैं।

कौन हैं शालिग्राम भगवान?

जालंधर के वध के समय भगवान ने जालंधर की पत्नी बृंदा को यह आशीर्वाद दिया था कि तुम्हारा पुनर्जन्म तुलसी के रूप में होगा और मैं शालिग्राम के रूप में तुम्हारा वरण करूंगा। इसके उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष कार्तिक माह के देवोत्थानी एकादशी के दिन शालिग्राम भगवान और तिलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है।

यह भी पढ़ेंShaligram Rocks: नेपाल से अयोध्या पहुंची शालिग्राम शिलाएं, भगवान राम की मूर्ति बनाने में होगी इस्तेमाल

HISTORY

Written By

News24 हिंदी

Edited By

Manish Shukla

First published on: Feb 03, 2023 07:34 PM
संबंधित खबरें