Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य की राजनीति में पिछले साल बड़ा खेला करते हुए एनडीए छोड़ महागठबंधन में शामिल हो गए थे। वे न सिर्फ महागठबंधन में शामिल हुए बल्कि इस दौरान उन्होंने खास तौर पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को तरहीज दी। कई मौके पर बैठक में नीतीश की जगह तेजस्वी यादव को देखा गया। आखिर नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर क्यों चुना? नीतीश के इस फैसले के पीछे कोई बड़ा खेल है? इन सभी बातों को लेकर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत कुमार ने चौंकाने वाला दावा किया है।
प्रशांत किशोर बोले- नीतीश के फैसले के पीछे बड़ी वजह है
प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को कहा कि नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को चुना क्योंकि बिहार के CM जानते हैं कि 2025 के बाद वे खुद मुख्यमंत्री नहीं होंगे। प्रशांत किशोर ने कहा कि 2025 के बाद जब तेजस्वी यादव राज्य का नेतृत्व संभालेंगे तब उनके नेतृत्व में बिहार को काफी नुकसान होगा और बिहार की जनता एक बार फिर जदयू की तरफ वापस आएगी और उन्हें मुख्यमंत्री चुनेगी।
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Nitish Kumar chose Tejashwi Yadav because he knows after 2025 he won’t be the CM & Bihar will suffer under Yadav & people will again come back & choose Nitish Kumar. He wants to continue his legacy so he doesn’t want someone better than him to come to power: Prashant Kishor pic.twitter.com/yi7LmHWjdP
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) January 27, 2023
प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार हर हाल में 2025 के बाद भी अपनी राजनीतिक विरासत को जारी रखना चाहते हैं इसलिए वे नहीं चाहते कि उनसे बेहतर कोई सत्ता में आए। प्रशांत किशोर ने ये भी कहा कि मार्च 2022 को जब नीतीश कुमार मुझसे दिल्ली में मिले, तो उन्होंने मुझे महागठबंधन के बारे में बताया और इसमें शामिल होने का अनुरोध किया।
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When Nitish Kumar met me in Delhi on March 2022,he told me about Mahagadbandhan & requested me to join. He knew that if he continued his alliance with BJP, after winning 2024 polls,he would be removed & BJP would choose a CM from their own party:Prashant Kishor, Political Analyst pic.twitter.com/u4DQmqQOGA
— ANI (@ANI) January 27, 2023
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ये भी कहा कि जब उनकी और नीतीश कुमार की मुलाकात हुई, उस दौरान नीतीश कुमार को पता था कि अगर उन्होंने बीजेपी के साथ अपना गठबंधन जारी रखा, तो 2024 के चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा देगी और अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री बनाएगी, इसलिए नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ते हुए महागठबंधन में शामिल होने का फैसला कर लिया।
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