Bihar Chunav 2025: आजकल देश में चुनाव से पहले सबसे ज्यादा चर्चा Electronic Voting Machine यानी EVM की होती है. दरअसल, आरोप लगाए जाते हैं कि इस मशीन में छेड़छाड़ की जाती है. आज बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान कर चुकी है. ऐसे में हमे यह जानना चाहिए कि क्या सच में ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है. ये मशीन बनती कहां है और इसकी सुरक्षा कैसे होती है? क्या कोई भी व्यक्ति स्ट्रॉन्ग रूम तक पहुंच सकता है? जानिए इन सभी सवालों के जवाब.
सबसे पहले कब हुआ था EVM का इस्तेमाल?
EVM मशीन के बारे में सबसे पहले साल 1977 में बात हुई थी. मगर इसका इस्तेमाल पहली बार साल 1982 के चुनाव में किया गया था. उस वक्त मशीन में सिर्फ 8 प्रत्याशियों के नाम की सुविधा दी गई थी. इसके बाद साल 1989 में मशीन को 16 प्रत्याशियों के नाम से डिजाइन किया था.
ये भी पढ़ें- बिहार में चुनाव लड़ेंगी भजन गायिका मैथिली ठाकुर! नेताओं से मुलाकात की तस्वीरें वायरल
इन 2 कंपनियों में बनाई जाती हैं EVM मशीन
1.भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL)- बेंगलुरु स्थित यह कंपनी रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण बनाने के लिए जानी जाती है.
2.इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL)- हैदराबाद स्थित इस कंपनी की परमाणु, रक्षा और चुनाव उपकरणों में विशेषता रही है.
ये दोनों ही कंपनियां भारत सरकार के अंतर्गत भारतीय चुनाव आयोग (ECI) की निगरानी में EVM मशीन तैयार करती हैं. इसके अलावा, मशीनों का निर्माण उत्तराखंड के कोटद्वार और यूपी के गाजियाबाद में भी होता है.
EVM मशीन के मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट में कैसी होती है सिक्योरिटी?
ईवीएम मशीन के मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट में सिक्योरिटी के 4 लेवल्स होते हैं. इनमें सबसे पहले आईडी कार्ड के जरिए एंट्री होती है. इसके बाद सिक्योरिटी गार्ड चेकिंग करता है और तीसरे चरण में बायोमेट्रिक्स और अंत में डिफेंडर गेट से यूनिट में प्रवेश किया जाता है.
वोटिंग के बाद कैसे होती है EVM की सुरक्षा?
जब मतदान समाप्त हो जाता है तो EVM मशीनों को तुरंत सील कर दिया जाता है. इस प्रक्रिया में उम्मीदवारों के प्रतिनिधि और चुनाव अधिकारी दोनों मौजूद रहते हैं. सभी मशीन पर सील और टैग लगाए जाते हैं और उन पर हस्ताक्षर किए जाते हैं. मशीनों को पारदर्शी ट्रांसपोर्ट बॉक्स में रखकर सुरक्षित वाहनों से स्ट्रॉन्ग रूम भेजा जाता है.
इस यात्रा के दौरान सीसीटीवी कैमरों की निगरानी रहती है और पुलिस तथा केंद्रीय बलों की तैनाती की जाती है. सभी ट्रकों और मशीन लोडिड वाहनों में GPS ट्रैकर लगाए जाते हैं. मशीनों को लोड करने से पहले और अनलोडिंग के बाद भी वीडियो रिकॉर्ड किया जाता है.
स्ट्रॉन्ग रूम में कैसी होती है सुरक्षा व्यवस्था?
स्ट्रॉन्ग रूम को तीन स्तरों पर सुरक्षा प्रदान की जाती है.
पहला स्तर- स्थानीय पुलिस बल.
दूसरा स्तर- केंद्रीय अर्धसैनिक बल (CAPF).
तीसरा स्तर- उम्मीदवारों के प्रतिनिधियों की 24 घंटे निगरानी.
स्ट्रॉन्ग रूम में प्रवेश के लिए सिर्फ अधिकृत अधिकारियों को ही अनुमति दी जाती है. अगर कोई उम्मीदवार या उनके एजेंटों को इस कक्ष में जाना होता है तो उसे CCTV लाइव फीड के जरिए स्ट्रॉन्ग रूम देखने की सुविधा दी जाती है.
बिहार में कब डाले जाएंगे वोट?
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया है कि इस बार बिहार में 2 चरणों में 6 और 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. इसके बाद 14 नवंबर को चुनाव के नतीजों का ऐलान किया जाएगा.
ये भी पढ़ें-‘बिहार का डिप्टी CM मैं बनूंगा’, INDIA ब्लॉक में सीट बंटवारे से पहले मुकेश सहनी ने किया दावा