Deepthi Jeevanji Profile: भारत की पैरा एथलीट दीप्ति जीवनजी ने इतिहास रच दिया है। दीप्ति ने सोमवार को जापान के कोबे में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर टी20 वर्ग दौड़ में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। दीप्ति ने इसके साथ ही 55.07 सेकंड के रिकॉर्ड टाइम के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम किया। दीप्ति जीवनजी ने पिछले साल पेरिस चैंपियनशिप के दौरान बनाए गए 55.12 सेकंड के रिकॉर्ड को चकनाचूर कर दिया। ये रिकॉर्ड अमेरिका की ब्रीना क्लार्क ने बनाया था। आइए जानते हैं कि दीप्ति जीवनजी कौन हैं?
कई रिकॉर्ड बनाए
दीप्ति जीवनजी का जन्म 27 सितंबर 2003 को तेलंगाना के कलेडा गांव में हुआ था। वह 400 मीटर टी-20 दौड़ में हिस्सा लेती हैं। दीप्ति ने इससे पहले भी कई बड़े रिकॉर्ड बनाए हैं। उन्हें 2022 हांग्जो एशियाई पैरा गेम्स के लिए चुना गया था। जहां उन्होंने नया एशियाई पैरा रिकॉर्ड बनाया। इसके साथ ही रिकॉर्ड टाइम के साथ गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। दीप्ति ने उस वक्त 56.69 सेकंड का समय निकाला और थाईलैंड की ओरावन कैसिंग को पीछे कर गोल्ड हासिल किया। दीप्ति 56.18 सेकंड के समय के साथ पेरिस 2024 पैरालिंपिक कोटा हासिल कर चुकी हैं।
🚨 GOLD MEDAL ALERT 🥇🚨
DEEPTI JEEVANJI won GOLD in Women’s 400m T20
---विज्ञापन---She broke the ASIAN RECORD 🙌
21st Medal for INDIA 🇮🇳#AsianParaGames2022 #Praise4Para pic.twitter.com/tijXuxmKMX
— The Khel India (@TheKhelIndia) October 24, 2023
कभी लोग मारते थे ताना
दीप्ति काफी गरीब परिवार से आती हैं। उनके पिता दिहाड़ी मजदूर थे। दीप्ति का परिवार इतना गरीब था कि उनके पास अपनी बेटी को वारंगल से हैदराबाद भेजने के लिए बस का किराया देने तक के पैसे नहीं थे। कभी उनके माता-पिता को लोग दीप्ति का नाम लेकर ‘मानसिक रूप से बीमार’ कहते और ताना मारते। अब वही लोग उनके घर बधाई देने पहुंचे हैं।
दीप्ति ने संघर्ष से तय किया सफलता का रास्ता
कोच रमेश के अनुसार, दीप्ति ने संघर्ष का सामना करते हुए ये मुकाम हासिल किया है। उनके माता-पिता को ये ताने सुनने पड़ते थे कि बेटी मानसिक रूप से कमजोर है, इसलिए इसकी शादी नहीं हो सकती। रमेश की मुलाकात दीप्ति से एक स्कूल मीट के दौरान हुई थी। इसके बाद उन्होंने उसे प्रशिक्षित करने का फैसला लिया।
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इनाम की राशि बेचकर खरीदी जमीन
दीप्ति की आर्थिक हालत इतनी खराब थी कि उन्हें अपनी जमीन का एक टुकड़ा भी बेचना पड़ा, लेकिन जब पैरा एशियाई गेम्स में गोल्ड मेडल के साथ 30 लाख रुपये का इनाम मिला तो उन्होंने इससे जमीन खरीद ली। दीप्ति को जब-जब मेडल या पुरस्कार राशि मिली, उन्होंने इसे बेचकर जमीन खरीदी। अब उनका परिवार इस पर खेती करता है। दीप्ति के करियर को आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद की भी भूमिका रही है। जिन्होंने उन्हें हैदराबाद में ट्रेनिंग करने का सुझाव दिया था। गोपी-मित्रा फाउंडेशन ने उन्हें सहयोग किया है।
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