Surya Namaskar Mantra: आज का 21 जून का दिन खास है। आज न केवल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है, बल्कि समर सॉलिस्टिस या ग्रीष्म अयनांत है, जो साल का सबसे लंबा दिन होता है। आज वह दिन है, जब सूर्यदेव 14 घंटे से अधिक समय तक आकाश में अपनी किरणें बिखेरेंगे। यह दिन प्रकृति, ऊर्जा और योग का उत्सव है। ऐसे में सूर्य नमस्कार और योग का अभ्यास हमें शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से ऊर्जावान बना सकता है। आइए जानते हैं, सभी योगों में सूर्य नमस्कार का क्या महत्व है और किन 5 सरल मंत्रों से इस योग को संपन्न कर पूर्ण लाभ उठा सकते हैं?
सिर्फ व्यायाम नहीं, ऊर्जा का स्रोत है सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार योग का एक विशेष क्रम है जिसमें 12 योग मुद्राएं शामिल होती हैं। इस लिए यह सभी योगों में उत्कृष्ट माना गया है। यह न केवल मांसपेशियों को लचीलापन देता है, बल्कि शरीर के आंतरिक अंगों को भी सक्रिय करता है। प्राचीन समय से ही ऋषि-मुनि इसे जीवनशक्ति बढ़ाने वाली क्रिया मानते आए हैं। खासकर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इसका अभ्यास करने से जीवन में उत्साह और ऊर्जा कभी कम नहीं होती है।
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ग्रीष्म संक्रांति का योग से गहरा संबंध
योग दिवस हर साल 21 जून को मनाया जाता है। यह उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है। इस समय पृथ्वी सूर्य के सबसे दूर होती है। इसलिए योग और ध्यान का अभ्यास करना इस दिन विशेष फलदायक होता है। सूर्य की ऊर्जा को आत्मसात करने का यह एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक तरीका है।
इन 5 मंत्रों से करें सूर्य नमस्कार को पूर्ण
वैदिक मान्यता है कि हर आसन के साथ यदि आप मंत्रों का उच्चारण करते हैं, तो यह न केवल अभ्यास को दिव्यता देता है, बल्कि ध्यान और एकाग्रता भी गहराते हैं।
ॐ सूर्याय नमः
इस मंत्र का अर्थ है- ‘सूर्य देव को नमस्कार है।’ यह मंत्र सूर्य को ब्रह्मांड की आत्मा के रूप में पूजता है। इस मंत्र के जाप से आत्म-विश्वास और तेज बढ़ता है।
ॐ भास्कराय नमः
इस मंत्र का अर्थ है- ‘जो संपूर्ण जगत प्रकाश फैलाते हैं, उन्हें नमस्कार है।’ यह मंत्र सूर्य के उस रूप को समर्पित है जो अंधकार को दूर करता है और ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। इस मंत्र के जाप से बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
ॐ आदित्याय नमः
इस मंत्र का अर्थ है- ‘मां अदिति के पुत्र को नमस्कार है।’ अदिति देवों की माता हैं और आदित्य उनके पुत्र हैं। यह मंत्र सूर्य की अनंतता का प्रतीक मानता है। इसके जाप से उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।
ॐ दिनकराय नमः
इस मंत्र का अर्थ है- ‘जो दिन को अपने उजाले से भरते हैं, वी दिन के निर्माता को नमस्कार है।’ यह मंत्र सूर्य को दिन की शुरुआत करने वाले और जीवन को गति प्रदान करने वाले के रूप में पूजता है। इसके जाप से जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह आता है।
ॐ प्रभाकराय नमः
इस मंत्र का अर्थ है- ‘जो प्रकाश के स्रोत हैं, उनको नमस्कार है।’ यह मंत्र सूर्य को सभी प्रकार के प्रकाश और चमक के दाता के रूप में मानता है। इसके जाप से चेहरे पर चमक और आभा आती है।
आपको बता दें कि इन मंत्रों के साथ किया गया सूर्य नमस्कार केवल शरीर की कसरत नहीं, बल्कि एक ध्यानपूर्ण और आध्यात्मिक यात्रा बन जाती है।
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