Leg Shaking Habit: हम सभी ने कभी न कभी अपने घर के बुजुर्गों से यह टोक सुनी होगी, “पैर मत हिलाओ, ये अशुभ होता है।” लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों कहा जाता है? भारतीय परंपरा में हर बात के पीछे कोई न कोई गहरा कारण छिपा होता है, चाहे वह धार्मिक हो, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हो या सामाजिक व्यवहार से। आइए जानते हैं, बैठे-बैठे पैर हिलाने को अशुभ क्यों माना जाता है।
धार्मिक मान्यताएं
हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को स्थिरता और समृद्धि की देवी माना जाता है। मान्यता है कि पैर हिलाना माता लक्ष्मी का अपमान है। इससे घर की बरकत और धन की ऊर्जा प्रभावित होती है। यही कारण है कि पूजा-पाठ या शांत वातावरण में पैर हिलाना वर्जित माना गया है।
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आध्यात्मिक दृष्टिकोण
आध्यात्मिक गुरुओं के मुताबिक, पैर हिलाना हमारे भीतर की बेचैनी और मन की अशांति का संकेत देता है। यह आंतरिक ऊर्जा के असंतुलन को बढ़ाता रहता है, जिससे जीवन में नकारात्मकता बढ़ती है।
वास्तु शास्त्र का नजरिया
वास्तु शास्त्र में भी लगातार पैर हिलाना अस्थिरता और नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। ऐसा करने से घर के वातावरण में तनाव और उथल-पुथल की भावना बढ़ती है।
सामाजिक पहलू
भारतीय समाज में शांत और संयमित व्यवहार को शालीनता की निशानी माना जाता है। लगातार पैर हिलाना कई बार सामने वाले को भी असहज कर देता है। यह असम्मान का कारण भी बन सकता है। यह आदत इंटरव्यू, मीटिंग या धार्मिक आयोजनों में व्यक्ति की पर्सनैलिटी पर नकारात्मक असर डालती है।
क्या कहता है विज्ञान?
मनोरोग विशेषज्ञों के अनुसार, पैर हिलाना तनाव, बेचैनी या हाइपरएक्टिविटी का लक्षण हो सकता है। यह न केवल मानसिक असंतुलन का संकेत है, बल्कि फोकस में भी बाधा डालता है। लंबे समय तक यह आदत शरीर में थकान और ऊर्जा की बर्बादी का कारण बन सकती है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।