विदुर महाभारत के एक प्रमुख पात्र थे। वे धृतराष्ट्र और पांडु के सौतेले भाई थे और अपनी नीति, धर्म और ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थे। उन्हें महात्मा विदुर भी कहा जाता है। महात्मा विदुर की विदुर नीति में जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं का उल्लेख किया गया है, जिनका पालन करके व्यक्ति सुखी और समृद्ध जीवन जी सकता है। इसमें धन-संबंधी कुछ विशेष बातें भी कही गई हैं।
कई लोग यह शिकायत करते हैं कि उनके पास पैसा नहीं टिकता और वे हमेशा आर्थिक संकट से जूझते रहते हैं। विदुर नीति के अनुसार, 3 गलत आदतें ऐसी होती हैं जो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर देती हैं। अगर इन आदतों को समय रहते नहीं बदला गया, तो व्यक्ति हमेशा तंगहाली में रहता है। आइए जानते हैं, ये 3 आदतें क्या हैं, जिनसे बचना आवश्यक है?
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बेवजह धन खर्च करना
विदुर नीति के अनुसार, जो लोग बिना किसी ठोस कारण के धन खर्च करते हैं, उनकी जेब कभी भरी नहीं रहती। अनावश्यक खर्च करने वाले व्यक्ति को भविष्य में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कैसे बचें: हर महीने अपनी आय और व्यय का सही से आकलन करें और बजट बनाएं। जरूरी और गैरजरूरी खर्च में फर्क करें और आवश्यकता के अनुसार ही धन खर्च करें। हर महीने अपनी आय का कुछ हिस्सा बचत में लगाएं यानी बचत की आदत डालें।
धन का घमंड करना
महात्मा विदुर ने कहा है कि व्यक्ति को धन का घमंड नहीं करना चाहिए। ऐसे लोग जो अपने धन के कारण दूसरों को छोटा समझते हैं, उनका धन अधिक समय तक नहीं टिकता। घमंड करने वाले व्यक्ति से मां लक्ष्मी भी नाराज हो जाती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है।
कैसे बचें: इसके लिए महात्मा विदुर कहते हैं कि विनम्र बनें और दूसरों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें। धन का सही उपयोग करें, पैसा सिर्फ दिखावे के लिए खर्च न करें, बल्कि उसे जरूरतमंदों की सहायता और निवेश में लगाएं। आर्थिक सफलता के लिए धन के साथ-साथ ज्ञान भी बेहद जरूरी है। इसलिए शिक्षा के साथ ज्ञान को प्राथमिकता दें।
अत्यधिक कंजूसी करना
विदुर नीति के अनुसार, जरूरत से ज्यादा कंजूस व्यक्ति का धन किसी न किसी रूप में व्यर्थ चला जाता है। कई लोग धन को इतना बचाने की कोशिश करते हैं कि वे खुद भी उसका सही उपयोग नहीं कर पाते। दूसरी ओर, जो व्यक्ति जरूरतमंदों की सहायता करता है, दान-पुण्य करता है, उसे आर्थिक रूप से अधिक सफलता मिलती है।
कैसे बचें: न तो अत्यधिक कंजूस बनें और न ही फिजूलखर्ची करें यानी संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं। समाज के जरूरतमंदों की मदद करने से न केवल धन का सही उपयोग होता है, बल्कि समाज का विकास भी होता है। इसलिए दान करने की आदत डालें। धन को बचाने के साथ-साथ सही जगह निवेश करना भी आवश्यक है, ताकि धन से धन को बढ़ाया जा सके।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।