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नवरात्रि का चौथा दिन आज, देवी दुर्गा के चौथे रूप की पूजा कल, जानें कारण; मां कूष्मांडा कथा, मंत्र और पसंदीदा भोग

Shardiya Navratri 4th Day: आज नवरात्रि का चौथा दिन है, लेकिन आज मां दुर्गा के चौथे रूप देवी कूष्मांडा की पूजा नहीं की जाएगी। उनकी पूजा कल 7 अक्टूबर को होगी। आइए जानते हैं कि कारण क्या है? साथ ही जानिए उनकी उत्पत्ति कथा, पूजा मंत्र और पसंदीदा भोग...

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Oct 6, 2024 08:02
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Maa-Kushmanda

Shardiya Navratri 4th Day: शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर, 2024 से आरंभ हो चुकी है। इसके साथ ही मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में से तीन स्वरूपों की पूजा की जा चुकी है। वहीं चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा देवी की पूजा करने का विधान है। आज रविवार 6 अक्टूबर को नवरात्रि का चौथा दिन है। लेकिन इस बार चतुर्थी तिथि उदयातिथि से न होने के कारण 6 अक्टूबर को नवरात्रि का चौथा दिन नहीं माना जाएगा। इस आधार से ये एक दिन आगे खिसक गया है। आइए जानते हैं मां कूष्मांडा की पूजा की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और भोग।

कब है नवरात्रि का चौथा दिन?

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि सुबह 7 बजकर 49 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 7 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 47 मिनट तक समाप्त हो रही है। ऐसे में सूर्योदय के समय उदयातिथि न होने के कारण 7 अक्टूबर को नवरात्रि का चौथा दिन पड़ेगा। ऐसे में मां कुष्मांडा देवी की पूजा 7 अक्टूबर को की जाएगी।

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मां कूष्मांडा की पूजा से लाभ

मान्यता है कि मां कूष्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि मां कूष्मांडा की पूजा विधिवत तरीके से करने से व्यक्ति हर तरह के दुख-दरिद्रता से निजात पा लेता है और जीवन में खुशियां ही खुशियां आती है। मां कुष्मांडा की पूजा करने से सभी दुखों से छुटकारा मिलता है। घर में धन संपदा की प्राप्ति भी होती है।

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कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप?

देवी भगवती पुराण के अनुसार, मां दुर्गा के चौथा स्वरूप देवी कूष्मांडा का है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। मां के एक हाथ में जपमाला और अन्य सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा शामिल है। वे सिंह पर सवार हैं।

माता कूष्मांडा को ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि जब सृष्टि की उत्पत्ति नहीं हुई थी और चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत्‌ हास्य यानी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है।

अष्टभुजा वाली मां कूष्मांडा की को पीला रंग बेहद ही प्रिय होता है। इसलिए पीले कमल का फूल अर्पित करने से मां कुष्मांडा प्रसन्न होती है।

मां कूष्मांडा देवी की पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। सबसे पहले कलश आदि से पुराने फूल, भोग आदि हटा दें और फिर पूजा आरंभ करें। फिर मां दुर्गा और उनके स्वरूपों की पूजा करें।

सिंदूर, फूल, माला, अक्षत, कुमकुम, रोली आदि चढ़ाने के साथ मां कुष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ लगाएं। मां कूष्ठमांडा हरी इलाइची औऱ सौंफ से प्रसन्न होती है।

इसके बाद जल चढ़ाएं। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर मां दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ के साथ मां कूष्मांडा के मंत्र, स्तोत्र आदि का पाठ कर लें। करें। अंत में विधिवत आरती के बाद भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

मां कूष्मांडा की पूजा के लिए मंत्र

1. सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

2. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कूष्मांडा बीज मंत्र: ऐं ह्री देव्यै नम:

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Shyam Nandan

First published on: Oct 06, 2024 06:41 AM

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