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Sharad Purnima: शरद पूर्णिमा पर केवल खीर नहीं न्यूली मैरिड कपल भी करते हैं चांदनी स्नान, जानें कोजागरा क्या है?

Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा को हिन्दू धर्म ग्रंथों और लोक संस्कृतियों में विशेष महत्वपूर्ण माना गया है। इस पूर्णिमा की रात की सबसे लोकप्रिय परंपरा है, खीर को चांदनी में रखना और अगले दिन उसका सेवन करना। आइए जानते हैं, शरद पूर्णिमा से जुड़े धार्मिक रीति-रिवाज और महत्व क्या हैं?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Sep 29, 2024 11:34
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ग्रंथों में शरद पूर्णिमा को रास और मधुमास की रात कहा गया है।

Sharad Purnima 2024: हिंदू धर्म में साल की सभी 12 पूर्णिमा तिथियों में शरद पूर्णिमा को बेहद खास और महत्वपूर्ण माना गया है। हर पूर्णिमा की तरह इस रात भी चंद्रमा अपनी पूर्ण अवस्था में होता है, जो कि बेहद खूबसूरत दृश्य होता है, लेकिन इस पूर्णिमा की रात और चांदनी को दिव्य माना गया है। प्राचीन काल से इस पूर्णिमा की रात को ‘चंद्र किरण स्नान’ की परंपरा रही है।

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अमृत की वर्षा करते हैं। इस अमृत की बूंदें जब धरती पर पड़ती हैं, तो प्रकृति भी प्रसन्न हो जाती है। आइए जानते हैं, शरद पूर्णिमा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है? इस रात में खीर को चांदनी में क्यों रखा जाता है और न्यूली मैरिड कपल के लिए इससे जुड़ा त्योहार ‘कोजागरा’ क्या है?

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कब है शरद पूर्णिमा 2024?

सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का खास महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। साल 2024 में शरद पूर्णिमा बुधवार 16 अक्टूबर को पड़ रही है।

शरद पूर्णिमा का धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व

आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा इस लिए कहा कहा जाता है कि यह बारिशों वाली मानसून ऋतु के खत्म होने और शरद ऋतु की शुरुआत का प्रतीक माना गया है। प्राचीन काल में शरद पूर्णिमा की रात को धार्मिक उत्सव के रूप मनाया जाता था। इसे कुमार पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, नवान्न पूर्णिमा और कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है, इस पावन रात को भगवान कृष्ण गोपियों के साथ दिव्य रास रचाते थे और देवतागण उसे देखकर स्वयं को धन्य मानते थे।

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कहते हैं कि विवाहित जोड़ों के बीच प्रेम और काम-सुख को बढ़ाने के लिए कौमुदी महोत्सव का आयोजन किया जाता था। खीर के कटोरे को चांदनी में रखना और अगले दिन साथ में खाना इस कौमुदी उत्सव का एक अभिन्न रिवाज था।

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वीडियो: शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक, सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व

शरद पूर्णिमा की रात और खीर

शरद पूर्णिमा की रात खीर के कटोरे को चांदनी में रखने का रिवाज आज भी लोकप्रिय है। कहते हैं, पूर्णिमा की यह सुहानी रात बहुत दिव्य होती है, क्योंकि चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है। रात को खुले आकाश में खीर के कटोरे को रखने से इसमें अमृत की बूंदें मिल जाती हैं। मान्यता है कि चांदनी में रखी खीर अमृत के समान हो जाती है। कहते हैं, इस खीर के सेवन से व्यक्ति के स्वास्थ्य, सौभाग्य और स्वभाव पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

नव विवाहितों की अनूठी मधुमास रात

अनेक ग्रंथों और कथाओं में शरद पूर्णिमा की रात को मधुमास रात यानी हनीमून नाईट कहा गया है, जो न्यूली मैरिड कपल के लिए बेहद खास होता है। मान्यता है कि जिनकी नई-नई शादी हुई होती है, यदि वे कपल एक साथ शरद पूर्णिमा की रात में चांदनी स्नान करते हैं, तो उनके बीच प्यार का अटूट रिश्ता बन जाता है, उनके जीवन में रोमांस का रोमांच कभी कम नहीं होता है।

कोजागरा क्या है?

शरद पूर्णिमा की कोजागरा पूर्णिमा भी कहते हैं। इस रात को नव-विवाहित जोड़े जागरण करते हैं, जिसे बिहार के मिथिला क्षेत्र में कोजागरा पर्व के तौर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस रात जागरण करने से आपसी प्रेम बढ़ता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कोजागरा करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है और संतान प्राप्ति होती है। दरअसल, मिथिला का यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को प्रकृति और धर्म से जोड़ता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Sep 29, 2024 11:34 AM

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