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Shani Pradosh Vrat 2025: मई 2025 का आखिरी प्रदोष व्रत कब, जानिए क्या है इस दिन का पूजा मुहूर्त?

Shani Pradosh Vrat 2025: मई 2025 का आखिरी प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है और यह ज्येष्ठ महीने का पहला प्रदोष व्रत होगा। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसके शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष अवसर होता है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करता है, बल्कि जीवन के सभी कष्टों को दूर करने में भी सहायक होता है।

Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: May 17, 2025 19:44
Shani pradosh vrat 2025

Shani Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है, जो प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। हर दिन प्रदोष काल सूर्यास्त के 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद तक रहता है। प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती का किया गया विशेष रूप से फलदाई होता है।

मई 2025 का आखिरी प्रदोष व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ेगा। यह ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत होगा, जो शनिवार, 24 मई 2025 को मनाया जाएगा। शनिवार को पड़ने के कारण इसके शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है।

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शनि प्रदोष व्रत की तिथि और समय

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 मई 2025 को शाम 7:20 बजे शुरू होगी और 25 मई 2025 को दोपहर 3:51 बजे समाप्त होगी। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल (संध्या समय) में की जाती है, इसलिए यह व्रत 24 मई 2025 को मनाया जाएगा। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है, इसलिए इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की पूजा भी विशेष फलदायी मानी जाती है।

क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

शनि प्रदोष के दिन विशेष संयोग बन रहे हैं। इसमें शिववास योग और आयुष्मान-सौभाग्य योग शामिल हैं, जो इस व्रत व दिन को और भी शुभ बनाते हैं। इस दिन प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त शाम 7:20 बजे से रात 9:13 बजे तक रहेगा, जिसमें लगभग 1 घंटा 54 मिनट का समय पूजा के लिए मिलेगा। इस दौरान भगवान शिव और शनि देव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।

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कैसे करें इस दिन पूजन?

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें।

प्रदोष काल में ऐसे करें पूजा?

शाम को प्रदोष काल शाम 7:20 बजे से रात्रि 9:13 बजे तक शिव मंदिर जाएं या घर पर शिवलिंग स्थापित करें। शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, और शहद से अभिषेक करें।

प्रभु को बेलपत्र, आक, धतूरा, और फूल अर्पित करें। यदि संभव हो, तो बेलपत्र पर चंदन से श्रीराम नाम लिखकर भोलेनाथ को चढ़ाएं। धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें।

शनि देव की करें पूजा

शनि प्रदोष के दिन शनि मंदिर में या फिर पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके साथ ही काले तिल, उड़द की दाल या फिर काले वस्त्रों का दान करें। ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें। अगले दिन सुबह स्नान के बाद पूजा करें और जरूरतमंदों को दान देकर व्रत का पारण करें।

करें ये उपाय

  • शिवलिंग पर गंगाजल में केसर मिलाकर अभिषेक करें। इससे मानसिक अशांति और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  • गरीबों को काले तिल के लड्डू या सरसों का तेल दान करें। यह उपाय धन की समस्याएं दूर कर देता है।
  • शिवलिंग पर दही और शहद का अभिषेक करें और महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे संतान सुख प्राप्त होता है।
  • शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से शनिदोष से मुक्ति मिलती है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: May 17, 2025 07:44 PM

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